बाजार

सार्वजनिक प्रकार का बाजार
(बाज़ार से अनुप्रेषित)

बाज़ार ऐसी जगह को कहते हैं जहाँ पर किसी भी चीज़ का व्यापार होता है। आम बाज़ार और ख़ास चीज़ों के बाज़ार दोनों तरह के बाज़ार अस्तित्व में हैं। बाज़ार में कई बेचने वाले एक जगह पर होतें हैं ताकि जो उन चीज़ों को खरीदना चाहें वे उन्हें आसानी से ढूँढ सकें। बाजार जहां पर वस्तुओं और सेवाओं का क्रय व विक्रय होता है उसे बाजार कहते हैं .

  • सामान्यतः बाजार का अर्थ उस स्थान से लगाया जाता है, जहाँ भौतिक रूप से उपस्थित क्रेताओं द्वारा वस्तुओं को खरीदा तथा बेचा जाता है| उदाहरण के लिए: सर्राफा बाजार में सोने-चाँदी का क्रय-विक्रय(खरीदना- बेचना) होता है,अनाज मण्डी में खाद्धान्नों का क्रय-विक्रय होता है तथा वस्त्र बाजार में वस्त्रों का होता है| अर्थशास्त्र के अंतर्गत बाजार शब्द से अभिप्राय उस समस्त छेत्र से है, जहाँ किसी वस्तु के क्रेता-विक्रेता आपस में स्वतन्त्रतापूर्वक प्रतिस्पर्द्धा करते है
भारत की एक दुकान में मौजूद वस्तुओं का चित्र
Wet market in Singapore

★बाजार का दुरुपयोग ★

‌‌ बाज़ार आज हमारे जीवन का एक बहुत ही बड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। शहरों से लेकर गांव तक आज लोगों की हर जरूरत का सामान बाजारों में मिल जाता है परंतु समय के साथ बाजारों का दुरुपयोग भी बढ़ है। आजकल बाजारों में हमारी जरूरतों की बजाय ऐसी वस्तुएं ज्यादा दिखाई देती है। जिन की हमें कोई आवश्यकता नहीं है। लोग अपनी जरूरतों की वस्तुएं लेने की बजाय वह वस्तुएं लेते हैं जो उन्हें नहीं लेनी चाहिए जो उनके जीवन में कोई भी महत्व नहीं रखती है। परंतु वह ऐसी चीजें खरीदते हैं।क्योंकि बाजार का बदलता स्वरूप लोगों को ठगने के मायने से बन रहा है। बाजार की चमकती- दमकती दुकानें लोगों को आकर्षित करती हैं और उन्हें जो उनके महत्व की चीजें नहीं है उन्हें भी खरीदने पर मजबूर करती हैं।

उनके खाली मन का इस्तेमाल कर वह उन्हें ठागति है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी परचेसिंग पावर को दिखाने के लिए बाजार का दुरुपयोग करते हैं। ऐसी चीजों को बढ़ावा देते हैं जो मनुष्य के जीवन में कोई महत्व नहीं रखती है।
  हमें बाजार का महत्व समझना चाहिए बाजार वह स्थान है। जहां हमें हमारी जरूरतों का सामान मिलता है। हमें उसका इस्तेमाल करना चाहिए ना कि दुरुपयोग यदि हम बाजार जाते हैं। तो हमें वह वस्तुएं ही लेनी चाहिए जो हम लेने के लिए गए हैं। न की ऐसी वस्तुएं लेनी चाहिए जिसकी हमें उस समय उस की कोई आवश्यकता नहीं है और बाजार की सकारात्मकता को बनाए रखना चाहिए।