बाढ़ का मैदान एक प्रमुख प्रवाही जल (नदी) कृत निक्षेपात्मक स्थलरुप हैं। वार्षिक बाढ़ों के दौरान बड़ी मात्रा में अवसाद(रेत,मिट्टी के कण,कंकड़ पत्थर आदि) नदी के आस पास के निचले क्षेत्रो में जमा हो जाते हैं ।

इस प्रकार क्रमशः प्रतिवर्ष बाढ़ के दौरान अवसादों की एक परत जम जाती है। जिससे उपजाऊ मैदान बन जाते हैं।

हरयाणा में माकन्दा रिवर के बाद के मैदान को बेट जाता है, और घग्गर् रिवर के बाद के मैदान को नैली कहा जाता है।