पं0 बाबूराम शुक्ल (सं0-1922-1994) फ़र्रूख़ाबाद (उत्तर प्रदेश) के एक सफल कवि, संपादक, तंत्रमंत्रकर्मकाण्डाचार्य तथा अच्छे मल्ल भी थे। अपने ‘लल्लुगत’ ‘मलेच्छोक्ति सुधाकर’ श्री शालीन सुधाकर, श्री शक्ति सुधाकर, हरिरंजनम्, तुलसी सूक्ति सुधाकर, श्री पाणिनि सूक्ति सुधाकर, गुरु नक्षत्रमाला आदि ग्रंथों की हिन्दी, संस्कृत में रचना की। इन्होंने गीता का आल्हा में अनुवाद भी किया। आप हिन्दी और संस्कृत के अच्छे पंडित भी थे। रामचरित मानस की चैपाई-
सब कर मत खग नायक ऐहा। करि अराम पद पंकज नेहा।।

के पौने सत्रह लाख अर्थ किए हॅ। यह ग्रंथ प्रकाशित है।[1]

  1. सिंह, डॉ॰राजकुमार (जनवरी २००७). विचार विमर्श. मथुरा (उत्तर प्रदेश)- २८१००१: सारंग प्रकाशन, सारंग विहार, रिफायनरी नगर. पृ॰ १२४. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)सीएस1 रखरखाव: स्थान (link)