बामियाँ अफ़्ग़ानिस्तान के मध्य भाग में स्थित एक प्रसिद्ध शहर है। जिस प्रान्त में यह है उसका नाम भी बामयान प्रान्त ही है।[1]

बामियाँ
بامیان
बामियाँ
City
Black Hawk flying over a valley in Bamyan
View of the town in which both statues are visible
Bamyan Valley in 2012
Afghan National Police (ANP)
Afghan National Police (ANP) vehicle
Local boys with bicycles
Young students
ध्येय: بامیان بام دنیا
बामियाँ is located in अफ़ग़ानिस्तान
बामियाँ
बामियाँ
Location in Afghanistan
निर्देशांक: 34°49′30″N 67°50′00″E / 34.82500°N 67.83333°E / 34.82500; 67.83333निर्देशांक: 34°49′30″N 67°50′00″E / 34.82500°N 67.83333°E / 34.82500; 67.83333
Country Afghanistan
ProvinceBamyan Province
Settled2800 BCE
शासन
 • President of City CouncilMuhammad Tahir Zaheer
क्षेत्रफल
 • कुल35 किमी2 (14 वर्गमील)
ऊँचाई2550 मी (8,370 फीट)
जनसंख्या (2014)
 • कुल1,00,000
समय मण्डलUTC+4:30
ध्वस्त बौद्ध प्रतिमाएँ
बामियाँ की विशाल बुद्ध प्रतिमा

बामियाँ घाटी में 2001 में तालिबान ने दो विशालकाय बौद्ध प्रतिमाओं को गैर-इस्लामी कहकर डायनामाइट से उड़ा दिया था। हाल ही में हमयन स्थित ऑयल-पेंटिंग्स को दुनिया की सबसे पुरानी तेल-चकला का नमूना करार दिया गया।

काबुल से उत्तर-पश्चिम में प्राचीन तक्षशिला-बैक्ट्रिया मार्ग पर बामियाँ के भग्नावशेष आज भी अपने गौरव के प्रतीक है। ह्वेन त्सांग ने फ़न-येन-न (बामियाँ) राज्य का उल्लेख किया है। उसके अनुसार इसका क्षेत्र पश्चिम से पूर्व 2000 ली (लगभग 334 मील) और उत्तर से दक्षिण 300 ली (50 मील.) था। इसकी राजधानी छह-सात ली अथवा एक मील के घेरे में थी। यहाँ के निवासियों की रहन सहन तुषार देशवासियों जैसी थी। उनकी रुचि मुख्यतया बौद्ध धर्म में थी। यहाँ पर कोई 10 विहार थे जिनमें 100 भिक्षु रहते थे जो लोकोत्तरवादी संप्रदाय से संबंधित थे। नगर के उत्तर-पूर्व में पहाड़ी की ढाल पर कोई 140-150 फी. ऊँची बुद्धप्रतिमा थी। वहाँ से दो मील की दूरी पर एक विहार में बुद्ध की महापरिनिर्वाण दशा में एक बड़ी मूर्ति थी। युवान्‌ च्वां‌ के कथनानुसार दक्षिण पश्चिम में 34 मील की दूरी पर एक बौद्ध संघाराम था जहाँ बुद्ध का एक दाँत सुरक्षित रखा था।

इस वृत्तांत की पुष्टि अफगानिस्तान में हिंदूकुश पहाड़ी तथा वामियाँ एवं वहाँ की विशाल मूर्तियों से होती है। एक मील की लंबाई में चट्टान के दोनों छोर पर क्रमश: 120 तथा 115 फी. ऊँची बुद्ध की मूर्तियाँ हैं। छोटी मूर्ति गांधार कला की प्रतीत होती है। वेशभूषा के आधार पर इसकी तिथि ईसवी की दूसरी तीसरी शताब्दी मानी जा सकती है। बड़ी मूर्ति का निर्माण लगभग 100 वर्ष बाद हुआ। इनके पीछे आलों की छतों में चित्रकला के भी अंश मिले हैं। इनको ससानी, भारतीय तथा मध्य एशिया से संबंधित वर्गों में रखा गया है। बामियाँ के चित्र अजन्ता की 9वीं तथा 10वीं गुफाओं के चित्रों तथा मीरन (मध्य एशिया) की कला से मिलते जुलते हैं।

यद्यपि चिंगेंज़ खाँ ने बामियाँ और वहाँ के निवासियों का पूर्णतया अंत कर दिया तथापि बुद्ध की इन प्रतिमाओं का उल्लेख 'आईन ए अकबरी' में भी मिलता है। कहा जाता है, प्रथम अफगान युद्ध के अंग्रेज बंदी सैनिकों को यहाँ रखा गया था।

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इन मूर्तियों को सन २००१ में इस्लामविरोधी कहकर इन्हें ध्वस्त करा दिया था।

  1. "CIA - The World Factbook - Afghanistan" (अंग्रेज़ी में). सी आइ ए. मूल से 20 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 दिसम्बर 2011.

इन्हें भी देखें

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