बालावतार, पालि व्याकरण से सम्बन्धित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसकी रचना धर्मकीर्ति ने १४वीं शताब्दी में की थी। धर्मकीर्ति, सिंहल देश (श्रीलंका) के बौद्ध भिक्षु थे। उन्हें 'वाचीस्सर' (वाचीश्वर) भी कहते हैं।

बालावतार में सात अध्याय हैं। यह कात्यायन व्याकरण पर आधारित है। इसमें पालि व्याकरण को अत्यन्त सार रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस पर पालि में दो टीकाएँ भी मिलती है।

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