बाला किला अलवर जिले में अवस्थित प्राचीन दुर्ग हैं। इस दुर्ग को कुंवारा दुर्ग ,अलवर दुर्ग भी बोला जाता है।यह दुर्ग अरावली की पहाड़ियों पर लगभग 300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।, जो कि 5 किलोमीटर की दूरी तक फैली हुई है। किले में 6 प्रवेश द्वार हैं और पोल के नाम से जाना जाता है। किले के 6 द्वार चांद पोल, सूरज पोल(महाराजा सूरजमल ने बनवाया), कृष्ण पोल, लक्ष्मण पोल, अंधेरी गेट और जय पोल हैं। इन दरवाजो में से प्रत्येक का नाम कुछ शासकों के नाम पर रखा गया है।

बाला के दुर्ग के निर्माताओं के बारे इतिहासकार एकमत नही है। कुछ इसे शिल्प जाति द्वारा तो कुछ इसे निकुम्भ द्वारा,कुछ इस हसन खान मेवाती द्वारा निर्मित मानते हैं। यह किला 1545 ईस्वी तक 1755 ईस्वी मुगलो के अधीन रहा था। इसके बाद भरतपुर के जाट राजाओ ने इस पर अधिकार कर लिया था। महाराजा सूरजमल ने दुर्ग में सूरज कुण्ड ,सूरज पोल और दो महलों का निर्माण करवाया था। सन 1775 ईस्वी में भरतपुर की शरण मे आये नरुका प्रताप सिंह ने नवीन वंश की स्थापना की थी।