शिशु के जन्म से लेकर उसके वयस्क होने तक उसे शिक्षित एवं संस्कारित करना पालन-पोषण या बाल संस्कार (पैरेन्टिंग) कहलाता है।

अधिकांश शिशु एवं बालक/बालिका अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। कुछ शिशुओं के साथ उनके दादा-दादी या नाना-नानी भी रहते हैं। किन्तु कुछ स्थितियों में सरकार या स्वयंसेवी संस्थायें बच्चों देखभाल करती हैं।

माता-पिता के कर्तव्य

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शारीरिक सुरक्षा प्रदान करना

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  • भोजन, वस्त्र एवं आवास प्रदान करना
  • शिशु को खतरों से बचाना
  • शिशु को रोगों से बचाना

शारीरिक विकास

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  • बच्चे के लिये स्वास्थ्यवर्धक वातावरण प्रदान करना
  • उन साधनों की व्यवस्था जो शारीरिक विकास के लिये आवश्यक हैं।
  • बच्चे को खेलों में से परिचित कराना एवं प्रशिक्षित करना
  • स्वास्थ्यकर आदतें विकसित करना

मानसिक सुरक्षा प्रदान करना

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  • शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करना
  • घर में न्यायप्रद वातावरण देना
  • ऐसा वातावरण देना जिसमें कोई डर, धमकी या बच्चे के साथ कोई दुराचरण न हो
  • बच्चे को दुलार

मानसिक विकास के लिये प्रयत्न करना

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  • पढना, लिखना, गणना करना सिखाना
  • मानसिक खेल
  • सामाजिक दक्षता एवं संस्कार
  • नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास

बाहरी कड़ियाँ

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