बिंद जाति का इतिहास
बिंद जाति का बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है बिंद समाज की उत्पत्ति की बात करें तो बिंद समाज की उत्पत्ति राजा बेन के पुत्र पृथु से हुई है जो की राजा बेन बहुत ही शक्तिशाली राजा थे इस समाज के लोग उत्तर प्रदेश ,बिहार ,मध्य प्रदेश, त्रिपुरा ,पश्चिम बंगाल ,मेघालय ,छत्तीसगढ़ इत्यादि राज्यों में पाए जाते हैं भारत में इनकी आबादी लगभग एक करोड़ के आसपास है उत्तर प्रदेश में इन्हें केवट के नाम से भी जाना जाता है बिहार में इन्हें नोनिया , बिंद और बेलदार के नाम से जाना जाता है भारत के बाद इनकी आवादी नेपाल और बांग्लादेश ने भी पाई जाती है नेपाल में सत्यनारायण भगत बिंद जो कि सांसद और मंत्री रह चूके है ये जाति आजादी के कई सौ साल पहले से ही इस धरती पर निवास करती है जहां इस जाति के लोग कई व्यवसाय करते आ रहे हैं इनके पूर्वज पहले जल के स्रोत को बहुत अच्छी तरह से जानते थे और जल वैज्ञानिक थे मारवाड़ जैसे निर्जल भूमि पर उनके बनाए हुए कुएं आज भी विद्यमान है, कुछ समय तक बिंद जाति के लोग नमक बनाने का भी काम किया , अधिकतर बिंद समाज के लोग कृषि कार्य करते हैं तथा कुछ प्रतिशत लोग मछली भी पकड़ते है बिंद समाज का वर्णन चीनी यात्री फाह्यान और विलियम क्रुक्स ने अपनी किताबों में किया है जो की आजादी से कई 100 साल पुरानी हैं इसका मतलब बिंद एक स्वतंत्र जाति है और इसके कई सारी उपजातियां हैं जैसे 1. अन्तर्वेदीय
19. मटखन्त्री
20. मयवार
2. केवट
3. खरबिन्द
4. खरबलबिन्द
21. मलह बिन्द
22. मछोरा
5. खर्चवाह
23. मुड़हा
6. खरौह
24. मुड़िया
7. खैरहा
25. महाबीरी
8. खैरा
26. माझी केवट
9. घसियारी
27. पटनी
10. चटाईबिन
28. नन बिन्द
11. जलकेवट
29. लोध बिन्द
12. जलिया
30. ओड़ बिन्द
13. तुरहा
31. नोना बिन्द
14. नामशुद्र
32. नोनिया बिन्द
15. बिन्द
33. महालदार
16. बेलदार
34. हलिया केवट
17. बियार
35. लहबरिया
18. बिन्झवार
36. लकरिया निरोस
इस समाज के लोग भगवान शिव और उनके ही अंशावतार काशी बाबा को कुलदेवता और माता विंध्यवासिनी को कुलदेवी के रूप में पूजते है आज भी बिंद के नाम से हर राज्य में स्थान और गांव का नाम मिल जाता है जैसे-बिंदवलिया, बिंदकी, बिंदेरवा, बिंदपुरवा इत्यादि साथ ही नौ गणराज्य में एक बिंद गणराज्य था और बिंद दिनारा भी बिंद समाज की एक जागीर थी पहले विंध्य प्रदेश हुआ करता था और मित्रो नालंदा का पुराना नाम बिंददिनारा ही था जहां बिंद राजा हुआ करता था
महाभारत में एक बिंद राजा और अनुबिंद राजा का वर्णन मिलता है आजादी की लड़ाई में बलिदान होने वाले झूर्री बिंद क्रान्तिकारी सोमारू बिंद का भी वर्णन मिलता है साथ ही समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी बाबू सहदेव प्रसाद महतो भी बिंद समाज से ही थे बिंद रत्न कहे जाने वाले रामजन्म बिंद भी बिंद समाज के महापुरुषु में से एक थे अर्थात् बिंद समाज राष्ट्र रक्षक वीर योद्धा जाति रही है |
लेखक-Er. prashant Bind(बिंद जाति की बात )