बिनेश्वर ब्रह्म
श्री बिनेश्वर ब्रह्म (जन्म : १९४६ ; - हत्या : १९ अगस्त २०००) असम के बड़ो साहित्यकार एवं बोडो साहित्य सभा के अध्यक्ष थे। वे तेजस्वी, ओजस्वी वक्ता, देशभक्त और विदेशीश् षड्यंत्रों के खिलाफ निर्भीकता से लोहा लेने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने पूर्वांचल में देवनागरी और हिन्दी के उत्थान के लिए काम किया। अनेक वर्षों से बोडो साहित्य सभा ने बोडो भाषा देवनागरी में लिखने का संकल्प किया हुआ था, बोडो पुस्तकें देवनागरी में छपती थीं। यह सब उन ईसाई पृथकतावादियों को सहन नहीं हुआ जो वर्षों से पूर्वांचल की जनजातियों को शेष देश की मुख्यधारा से काटने में जुटे हुए हैं। उन्होंने छल-बल से बोडो भाषा के लिए रोमन लिपि प्रचलित करवाना शुरू किया। जब देशभक्त बड़ो लोगों ने इसका विरोध करना शुरू किया तो परिणाम बिनेश्वर ब्रह्म की हत्या के रूप में सामने आया। देवनागरी का तिलक अपने लहू से करने वाले शहीद बिनेश्वर ब्रह्म इसीलिए "देवनागरी के नवदेवता' कहे गए।
बिनेश्वर ब्रह्म सन् १९९६ में बोडो साहित्य-सभा के अध्यक्ष बने और १९९९ में वे फिर से अध्यक्ष बनाये गए। असम में बोडो भाषा के लिए लिपि को लेकर कई बार आन्दोलन हुआ और बिनेश्वर ब्रह्म ने रोमन लिपि के स्थान पर देवनागरी लिपि का समर्थन किया और वह स्वीकार कर ली गयी। लेकिन राज्य में चर्च एवं उसके द्वारा समर्थित आतंकवादी गुट "नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैण्ड' (एन.डी.एफ.बी.) के दबाव से बोडो साहित्य सभा में फिर से लिपि का प्रश्न उठाया गया। बिनेश्वर ब्रह्म ने इस बार भी देवनागरी लिपि का समर्थन किया और एन.डी.एफ.बी. की धमकियों की उपेक्षा की। इस बार उन्हें परिणाम भुगतना पड़ा और उनकी हत्या कर दी गयी।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Of God and Holy Water Rediff - October 25, 2000