बिन्देश्वर पाठक

भारतीय समाजशास्त्री

डॉ बिन्देश्वरी पाठक (जन्म: ०२ अप्रैल १९४३) विश्वविख्यात भारतीय समाजिक कार्यकर्ता एवं उद्यमी हैं। उन्होने सन १९७० मे सुलभ इन्टरनेशनल की स्थापना की। सुलभ इंटरनेशनल मुख्यतः मानव अधिकार, पर्यावरणीय स्वच्छता, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों और शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन आदि क्षेत्रों में कार्य करने वाली एक अग्रणी संस्था है। श्री पाठक का कार्य स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। इनके द्वारा किए गए कार्यों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है और पुरस्कृत किया गया है। 15 अगस्त 2023 को 80 वर्ष की उम्र में दिल्ली के AIIMS में श्री पाठक का निधन हो गया।[1]

बिंदेश्वर पाठक

सुलभ इन्टरनेशनल के संस्थापक समाजसेवी डॉ बिन्देश्वर पाठक
जन्म 2 अप्रैल 1943 (1943-04-02) (आयु 81)
रामपुर, बिहार, भारत
मौत 15 अगस्त, 2023
AIIMS Delhi
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा एम.ए. (सामाजिक विज्ञान 1980), एम.ए. (अंग्रेजी 1986), पीएच.डी. (1985), डी.लिट्. (1994)
शिक्षा की जगह पटना विश्वविद्यालय
प्रसिद्धि का कारण सुलभ इंटरनेशनल संस्था की स्थापना
और भारत में स्वच्छता एवं स्वास्थ्य की दशा में सुधार और सामाजिक परिवर्तन

जीवन परिचय

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डॉ बिन्देश्वरी पाठक ने का जन्म भारत के बिहार प्रान्त के रामपुर में हुआ। उन्होने सन १९६४ में समाज शास्त्र में स्नातक की उपाधि ली। सन १९६७ में उन्होने बिहार गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति में एक प्रचारक के रूप में कार्य किया। वर्ष 1970 में बिहार सरकार के मंत्री श्री शत्रुहन शरण सिंह के सुझाव पर सुलभ शौचालय संस्थान की स्थापना की। बिहार से यह अभियान शुरू होकर बंगाल तक पहुंच गया। वर्ष 1980 आते आते सुलभ भारत ही नहीं विदेशों तक पहुंच गया। सन, 1980 में इस संस्था का नाम सुलभ इण्टरनेशनल सोशल सर्विस आर्गनाइजेशन हो गया। सुलभ को लिए अन्तर्राष्ट्रीय गौरव उस समय प्राप्त हुआ जब संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा सुलभ इण्टरनेशनल को विशेष सलाहकार का दर्जा प्रदान किया गया।

सन १९८० में उन्होने स्नातकोत्तर तथा सन १९८५ में पटना विश्वविद्यालय से पीएच डी की उपाधि अर्जित की। उनके शोध-प्रबन्ध का विषय था - बिहार में कम लागत की सफाई-प्रणाली के माध्यम से सफाईकर्मियों की मुक्ति (लिबरेशन ऑफ स्कैवेन्जर्स थ्रू लो कास्ट सेनिटेशन इन बिहार)।

बिंदेश्वर पाठक ने सामाजिक विज्ञान में स्नातक किया। उन्होंने अपनी परास्नातक उपाधि 1980 में और डॉक्टरेट की उपाधि 1985 में पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की।[2] उच्चकोटि के लेखक और वक्ता के रूप में श्री पाठक ने कई पुस्तके भी लिखीं। स्वच्छता और स्वास्थ्य पर आधारित विभिन्न कार्यशालाओं और सम्मेलनों में श्री पाठन ने अभूतपूर्व योगदान दिया।

स्वच्छता के लिए आंदोलन

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एक पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे और बिहार में पले बढे डॉ॰ पाठक ने अपने पीएच.डी. का अध्ययन क्षेत्र "भंगी मुक्ति और स्वच्छता के लिए सर्व सुलभ संसाधन" जैसे विषय को चुना और इस दिशा में गहन शोध भी किया। 1968 में श्री पाठक भंगी मुक्ति कार्यक्रम से जुड़े रहे और उन्होंने तब इस सामाजिक बुराई और इससे जुड़ी हुई पीड़ा का अनुभव किया। श्री पाठक के दृढ निश्चय ने उन्हें सुलभ इंटरनेशनल जैसी संस्था की स्थापना की प्रेरणा दी और उन्होंने 1970 में भारत के इतिहास में एक अनोखे आंदोलन का शुभारंभ किया।[3]

सुलभ इंटरनेशनल

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श्री पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की[4] सुलभ इंटरनेशनल एक सामाजिक सेवा संगठन है जो मुख्यतः मानव अधिकार, पर्यावरणीय स्वच्छता, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों और शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन आदि क्षेत्रों में कार्य करती है। इस संस्था के 50,000 समर्पित स्वयंसेवक हैं। श्री पाठक ने सुलभ शौचालयों के द्वारा बिना दुर्गंध वाली बायोगैस के प्रयोग की खोज की। इस सुलभ तकनीकि का प्रयोग भारत सहित अनेक विकाशसील राष्ट्रों में बहुतायत से होता है। सुलभ शौचालयों से निकलने वाले अपशिष्ट का खाद के रूप में प्रयोग को भी प्रोत्साहित किया।

पुरस्कार एवं सम्मान

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श्री पाठक को भारत सरकार द्वारा १९९१ में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् 2003 में श्री पाठक का नाम विश्व के 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की सूची में प्रकाशित किया गया। श्री पाठक को एनर्जी ग्लोब पुरस्कार भी मिला।[5] श्री पाठक को इंदिरा गांधी पुरस्कार, स्टाकहोम वाटर पुरस्कार इत्यादि सहित अनेक पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया है।[6]

उन्होने पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने के लिये प्रियदर्शिनी पुरस्कार एवं सर्वोत्तम कार्यप्रणाली (बेस्ट प्रक्टिसेस) के लिये दुबई अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किया है। इसके अलावा सन २००९ में अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा संगठन (आईआरईओ) का अक्षय उर्जा पुरस्कार भी प्राप्त किया।

२२ अप्रैल,२०२४ को इन्हे मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिया,जिसे पत्नी अमोल ने प्राप्त किया।[7]

80 वर्ष की उम्र में श्री पाठक का निधन हो गया। 15 अगस्त 2023 की सुबह वे दिल्ली स्थित सुलभ इंटरनेशनल कार्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हुए। उन्होंने तिरंगा फहराया और उसके कुछ देर बाद ही अचानक से गिर गए, जिसके तत्काल बाद उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के AIIMS में भर्ती कराया गया। दोपहर 1.42 बजे चिकित्सकों ने पाठक को मृत घोषित कर दिया। चिकित्सको ने मौत का कारण 'कार्डियक अरेस्ट' बताया।

  1. Dwivedi, Aaryan, संपा॰ (2023-08-15). "नहीं रहें सुलभ इंटरनेशनल के फाउंडर बिंदेश्वर पाठक, ऑफिस में तिरंगा फहराने के बाद बिगड़ी थी तबीयत". RewaRiyasat.Com. Rewa Riyasat Private Limited.
  2. एक राष्ट्रीय योद्धा Archived 2007-08-14 at the वेबैक मशीन. Retrieved on October 14, 2010.
  3. स्वच्छता और सामाजिक क्रांति Archived 2010-07-04 at the वेबैक मशीन. Retrieved September 28, 2010.
  4. सुलभ इंटरनेशनल Archived 2016-04-02 at the वेबैक मशीन. Retrieved on October 14, 2010.
  5. सुलभ के संस्थापक को एनर्जी ग्लोब पुरस्कार Archived 2007-01-06 at the वेबैक मशीन. Retrieved October 14, 2010.
  6. "डॉ॰ पाठक को विश्व भोजपुरी सम्मान". मूल से 4 सितंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अप्रैल 2016.
  7. "मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किए गए बिंदेश्वर पाठक".

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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