बीटाट्रॉन (Betatron) इलेक्ट्रॉनों की अति उच्च ऊर्जाओं तक त्वरित करने का एक यंत्र (त्वरक) है। यह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है। यह एक ऐसे ट्रान्सफॉर्मर की तरह है जिसमें सेकेण्डरी वाइन्डिंग के रूप में इलेक्ट्रॉन बीम होती है। इसको सर्वप्रथम सन 1935 में D.W.Kerst ने बनाया था। इसमें तथा साइक्लोट्रॉनों में यह अन्तर है कि साइक्लोट्रोन में घूम रहे कणों की कक्षाओं की त्रिज्या निरन्तर बढ़ती रहती है जबकि बीटाट्रॉन एक स्थायी कक्षा में रखे जाते हैं।

१९४२ में जर्मनी में निर्मित किया गया 6 MeV बीटाट्रॉन
बीटाट्रॉन का योजनामूलक चित्र (लाल - कुण्डली , हरा - इलेक्ट्रॉन घूमाने के लिए निर्वात पाइप , पीला - लौह क्रोड

सिद्धान्त संपादित करें

 

इससे इलेक्ट्रॉन की स्थिर कक्षा का समीकरण निकाला जा सकता है, जो निम्नलिखित है:

 

जहाँ

  इलेक्ट्रॉन की कक्षा द्वारा से जाने वाला कुल फ्लक्स
  इलेक्ट्रॉन के कक्षा की त्रिज्या, और
    त्रिज्या पर इलेक्ट्रॉन की कक्षा में फ्लक्स घनत्व है।

इसे विडरो की शर्त (Widerøe's condition) कहते हैं।[1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Wille, Klaus (2001). Particle Accelerator Physics: An Introduction. Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-850549-5.

इन्हें भी देखें संपादित करें