बीबी के मक़बरे का निर्माण मुग़ल औरंगजेब ने, अंतिम सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था। इतिहासकारों के अनुसार इस मक़बरे का निर्माण आजमशाह ने दिलरस बानो बेगम की याद में बनवाया था। इन्हें राबिया-उद-दौरानी के नाम से भी जाना जाता था। यह ताज महल की आकृति पर बनवाया गया था। यह छत्रपती संभाजीनगर, महाराष्ट्र में स्थित है। यह मक़बरा अकबर एवं शाहजहाँ के काल के शाही निर्माण से अंतिम मुग़लों के साधारण वास्तुकला के परिवर्तन को दर्शाता है। ताजमहल से तुलना के कारण ही यह उपेक्षा का कारण बना रहा। मुघल काल के दौरान यह वास्तु औरंगाबाद शहर के मध्य हुआ करता था। इस मकबरे को ताज महल की फूहड़ नकल भी कहा जाता है।

बीबी का मक़बरा
एक निकट दृश्य

निर्माण संपादित करें

अनुमान किया जाता है कि इस का निर्माण 1657 -1661 ई के मध्यकाल में हुआ। ग़ुलाम मुस्तफा की रचना "तारीख नाम" के अनुसार इसके निर्माण का व्यय 6,68,203.7 रुपये हुआ था। यह वास्तू कुल 25 एकड़ मे फैली हुई है। जसमे मुख्य गुम्बद और चार मिनार 3094 वर्ग मीटर मे फैली हुई है। ।[1] इस मक़बरे का गुम्बद पूरी तरह संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है। गुम्बद के अलावा दूसरा निर्माण प्लास्टर से किया गया है। इस वास्तु के निर्माण के लिए लगनेवाले पत्थर जयपुर की खदानों से लाये गए थे। आज़मशाह इसे "ताजमहल" से भी ज्यादा भव्य बनाना चाहता था परंतु औरंगज़ेब द्वारा दिए गए खर्च में वह मुमकिन नहीं हो पाया।

इस मक़बरे का डिज़ाइन अतउल्लाह द्वारा किया गया था। अतउल्लाह के पिताजी उस्ताद अहमद लाहोरी को विश्वप्रसिद्ध "ताजमहल" के मुख्य आर्किटेक्ट के तौर पर पहचाना जाता था। इस मक़बरे का गुम्बद ताजमहल के गुम्बद से आकार में छोटा है। तकनिकी खामियों के कारण और संगमरमर की कमतरता के कारण यह वास्तु कभी भी "ताजमहल" के बराबर नहीं समझी गयी ।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Maharashtra (India). Gazetteers Dept (1977). Maharashtra State gazetteers. Director of Govt. Printing, Stationery and Publications, Maharashtra State. पृ॰ 951. मूल से 26 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 January 2013.

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