बीबी जमाल ख़ातून (फ़ारसी: بيبی جمال خاتون ) (निधन 2 मई, 1647)[1] एक सूफी महिला संत थीं जो सहवान, सिंधु में रहती थीं। वह एक प्रसिद्ध और प्रभावशाली सूफी, मियाँ मीर की छोटी बहन थी जो उनके आध्यात्मिक गुरु भी थे। शादी के दस साल बाद वह अपने पति से अलग हो गईं और उन्होंने खुद को अपने कमरे में तपस्या, प्रार्थना और ध्यान करने के लिए समर्पित कर दिया। उनके भाई मियाँ मीर अपने चेलों को निर्देश करते समय बीबी जमाल ख़ातून के अध्यात्मिक अभ्यास की उदाहरण देते थे।

राजकुमार दारा शिकोह ने अपनी दूसरी क़ादरी जीवनी, स्कीनत अल-अवलिया का दूसरा अध्याय बीबी जमाल को समर्पित किया। उन्होंने उसमें बीबी जमाल की अपने समय के दैविक रूप के तौर पर प्रशंसा की और उनके द्वारा किए गए कई चमत्कारों का वर्णन किया। [2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Rizvi, Saiyid Athar Abbas (1983). A History of Sufism in India. 2. New Delhi: Munshiram Manoharlal. पृ॰ 481. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-215-0038-9. |ISBN= और |isbn= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  2. Ernst, Carl W. (1997). The Shambhala Guide to Sufism. Boston: Shambhala. पृ॰ 67. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781570621802. |ISBN= और |isbn= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)