बुद्धदत्त ५वीं शताब्दी के एक थेरावाद बौद्ध लेखक थे। उनका जन्म उरगपुर में हुआ था जो उस समय चोल आम्राज्य के अन्तर्गत था। कालम्ब राजवंश के अच्युतविक्रान्त के संरक्षण में भूतमंगलगाम के मठ में रहकर उन्होंने अनेक रचनाएँ की। वे श्री लंका के अनुराधापुर में स्थित महाविहार भी गये थे जहाँ उन्होंने महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का सिंहल भाषा से पालि में अनुवाद किया। कहा जाता है कि श्रीलंका से अपनी रचनाएँ अपूर्ण छोड़कर वापस आते समय समुद्र में उनकी मुलाकात बुद्धघोष से हुई थी। बुद्धघोष ने उनकी रचनाओं का उअयोग अपनी रचना अभिधम्मावतार में किया है। अभिधम्मावतार, अभिधम्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थों में से एक है।

कृतियाँ संपादित करें

  • उत्तरविनिच्चय (उत्तरविनिश्चय)
  • विनयविनिच्चय (विनयविनिश्चय)
  • अभिधम्मावतार
  • रूपारूपविभाग
  • मधुरत्थविलासिनी (बुद्धवंश की टीका)

सन्दर्भ संपादित करें