बेंजी
बेंजी (Benji), जिसे स्थानीय गढ़वाली भाषा में ब्येंजी (Byenji) कहा जाता है, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित एक गाँव है। बेंजी ग्राम के निवासियों का उपनाम "बेंजवाल" होता है।[1]
बेंजी Benji | |
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निर्देशांक: 30°22′23″N 79°00′29″E / 30.373°N 79.008°Eनिर्देशांक: 30°22′23″N 79°00′29″E / 30.373°N 79.008°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | उत्तराखण्ड |
ज़िला | पिथौरागढ़ ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 128 |
भाषा | |
• प्रचलित भाषाएँ | हिन्दी, गढ़वाली |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 246421 |
दूरभाष कोड | 01364 |
डाक पता
संपादित करेंग्राम - बेंजी,
पोस्ट ऑफिस - सिल्ली (अगस्त्यमुनि),
जिला - रुद्रप्रयाग,
उत्तराखंड,
पिन - २४६४२१.
शैक्षणिक संस्थान
संपादित करेंगाँव के नीचे हेड़ी नामक स्थान पर राजकीय प्राथमिक पाठशाला है।
मन्दिर एवं देवस्थान
संपादित करेंगाँव में भगवती दक्षिणकालिका का प्राचीन सिद्धस्थान है। बाद में भगवती के पुजारी परिवार द्वारा देवी का स्वरुप सिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। नृसिंह भगवान का स्थान दो जगह है, एक तो पुजारी परिवार के घर में तथा दूसरा गाँव से एक तरफ जंगल में। गाँव के जल स्रोत बिन्नी का धारा पर एक मन्दिर है जिसमें भगवान तुंगनाथ एवं देवी दुर्गा को स्थापित किया गया है। गाँव की चोटी पर क्षेत्रपाल देवता का स्थान है। इसके अतिरिक्त कुछ स्थानीय देवताओं के भी स्थान हैं जिनमें 'पंचकूला' देवता आदि शामिल हैं।
गाँव के कुछ प्रमुख इष्टदेवों में महर्षि अगस्त्य, भगवान तुंगनाथ, भगवती दक्षिणकालिका तथा नृसिंह देवता शामिल हैं। महर्षि अगस्त्य का मन्दिर पहाड़ से नीचे अगस्त्यमुनि नामक नगर में है।
गाँव का इतिहास
संपादित करेंमान्यता के अनुसार बहुत वर्षों पहले एक बार अगस्त्यमुनि मन्दिर के पुजारी का देहान्त हो गया था जिस कारण वहाँ पूजा बन्द थी। इसी समय दक्षिण से कोई दो आदमी जो कि उत्तराखण्ड की यात्रा पर आये हुये थे, अगस्त्य ऋषि के मन्दिर के बारे में पता लगने पर मन्दिर में दर्शन को आये। स्थानीय लोगों ने उन्हें मना किया के मन्दिर के अन्दर मत जाओ, पूजा बन्द है और जो अन्दर जा रहा है उसकी मृत्यु हो रही है। उन्होंने कहा कि अगस्त्य ऋषि तो हमारे देवता हैं, हम तो दर्शन करेंगे ही (दक्षिण में भी अगस्त्य ऋषि का आश्रम है)। वे अन्दर गये, दर्शन किया और उनको कुछ न हुआ तो स्थानीय लोगों ने उनसे ही मन्दिर में पूजा व्यवस्था सम्भालने का अनुरोध किया।
इसके बाद वे बसने हेतु स्थान खोजने ऊपर पहाड़ पर गये, वहाँ एक स्थान पर उन्होंने चूहे तथा साँप के बीच लड़ाई होते देखी, अन्ततः चूहे ने साँप को हरा दिया। यह देखकर उन्होंने निश्चय किया कि इस स्थान में बल एवं सिद्धि है तथा यह रहने के लिये उपयुक्त है। तब वे वहाँ रहने लगे तथा बेंजी नामक गाँव बसाया। तब से अगस्त्यमुनि मन्दिर में ग्राम बेंजी से ही पुजारी (मठाधीश) होते हैं।
गाँव के कुछ प्रसिद्ध व्यक्ति
संपादित करें- ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज
- उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी शहीद यशोधर बेंजवाल
गाँव से जुड़े कुछ तथ्य
संपादित करें- बेंजी ग्राम के स्वामी माधवाश्रम देवभूमि उत्तराखण्ड क्षेत्र से शंकराचार्य पद पर सुशोभित होने वाली पहली विभूति हैं।
- रुद्रप्रयाग के प्रसिद्द आदमखोर तेंदुए ने अपना पहला शिकार बेंजी गाँव के एक व्यक्ति को बनाया था।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Start and end points of National Highways". मूल से 22 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 April 2009.