बेघर
बेघर या निराश्रयता एक नियमित रूप से निवास के बिना लोगों की हालत है। बेघर लोग अधिकतर समय, नियमित रूप से सुरक्षित और पर्याप्त आवास बनाए रखने में असमर्थ होते हैं या नियमित रूप से तय और पर्याप्त रात के समय निवास नहीं जुटा पात। बेघर की कानूनी परिभाषा विभिन्न देशों में , या एक ही देश या क्षेत्र के अलग अलग अधिकार क्षेत्र अलग न्यायालय के बीच बदल जाता है। बेघर शब्द के अंतर्गत उन सभी व्यक्तियों को सम्मिलित किया जा सकता है जिनका रात के समय प्राथमिक निवास स्थान एक बेघर आश्रय, एक वार्मिंग केंद्र, एक घरेलू हिंसा आश्रय, एक वाहन (मनोरंजन वाहन और कैंपिंग वैन सहित) या फिर गत्ते के बक्सों, टेंट, तिरपाल या अन्य अस्थायी स्थिति में रहते हैं। अमेरिकी सरकार के बेघर गणन अध्ययनों में ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया गया है जो कि किसी ऐसे सार्वजनिक या निजी स्थान में सोते हों जो की मनुष्य के लिए एक नियमित रूप से आवास के रूप में इस्तेमाल के लिए
एक अनुमान के अनुसार, सन 2005 के अंदर दुनिया भर में 10 करोड़ बेघर व्यक्ति थे। अकेले ब्रिटेन में 80,000 से अधिक बेघर लोग हैं और यह संख्या हर साल बढ़ रही है। पश्चिमी देशों में, बेघर लोगो के बीच बहुत बड़ी संख्या पुरुषों (75-80 %) की है। इसमें विशेष रूप से काफी बड़ा भाग एकल पुरुषों का है।
अधिकांश देश बेघर लोगों की सहायता के लिए विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान करते हैं। यह देश, सरकारी विभागों या फिर सामुदायिक संगठनो (अक्सर स्वयंसेवकों) की सहायता से भोजन, आश्रय और कपड़े प्रदान करते हैं। इन कार्यक्रमों को सरकार, दान संगठनों, चर्चों और व्यक्तिगत दाताओं द्वारा समर्थित किया जाता है। कई शहरों में बेघर लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए सड़क समाचारपत्र (स्ट्रीट न्यूज़पेपर), प्रकाशनों को स्थापित किया गया है। कुछ बेघरों के पास नौकरियां हैं, वहीं बाकी आय के लिए अन्य तरीके अपनाने पड़ते हैं। भीख मांगना या आर्थिक सहायता लेना एक विकल्प है, लेकिन कई शहरों में यह तेजी से अवैध होता जा रहा