बैंगनी मेन्गोस्टीन को बोलचाल के ढंग से मेन्गोस्टीन बुलाया जाता जो एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार वृक्ष है। यह फल मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया मे बढ़ता है और भारत मे केरला के राज्य मे उपजाता है। यह पेड ६ से लेकर २५ मीटर तक लंबा चलता है। मेन्गोस्टीन का फल मिठाई, रसदार और कुछ हद तक रेशेदार है।

बैंगनी मेन्गोस्टीन
Garcinia mangostana
ম্যাঙ্গোস্টিন
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: Plantae
अश्रेणीत: Angiosperms
अश्रेणीत: Eudicots
अश्रेणीत: Rosids
गण: Malpighiales
कुल: Clusiaceae
वंश: Garcinia
जाति: G. mangostana
द्विपद नाम
Garcinia mangostana
L.

वृक्ष और फल

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एक उष्णकटिबंधीय पेड़ होते हुए, मेन्गोस्टीन लगातार गर्म स्थितियों में ही होना चाहिए, ० डिग्री के तापमान के नीछे होने से इस पौधे मार भी सकता है। अनुभवी होरिकलचरिस्टओ सड़क पर ही इस प्रजाति को उगाया है और उसे दक्षिण फ्लोरिडा लेकर फल बनाएँ है। जब फल अगले २-३ महीने उगाता जाता है, तब उसका एक्सोकार्प का रंग हरा से गहरे हरे रंग बदलता है। इस अवधि के दौरान मे फल का आकार ६-८ सेंटीमीटर होने तक बडता रहता है और परिपक्व के चरण तक ठोस रहता है। जब यह विकासशील मेन्गोस्टीन का विस्तार बंद होता है तब इसका क्लोरोफिल संश्लेषण नीचे धीमा कर देती है और अगले रंग चरण शुरू होता है। इस फल का प्रारंभिक हरा रंग लाल होता है और उससे बैंगनी अंधेरा, जो अंतिम परिपक्व चरण का संकेत करता है। इस पूरी प्रक्रिया का होना लगबग दस दिन लगता है और इसके बाद फल खाने योग्य हो जाता है।

पोषाहार सामग्री

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बीजोपांग फल का सफेद हिस्सा है जो उस फल को खाने योग्य बनता है। इस फल का पोशण साधारण है जिसका सभी पोषक तत्वों आहार संदर्भ सेवन के कम प्रतिशत है।

पाक शाला संबंधी

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आयात का प्रतिबंध से मेन्गोस्टीन कुछ देशो मे आसानी से उपलब्ध नहीं है। मेन्गोस्टीन डिब्बो और जमे हुए उपलब्ध है। परिपक्व के पहले इस फल का खोल रेशेदार और दृढ़ है लेकिन उसके बाद यह फल मुलायम और उसे खोलना आसान हो जाता है। इसे प्रायः चाकु के साथ काट दिया है। कभी कभी इसको काटते समय, फल के एक्सोकार्प् का रस त्वचा या कपड़ा को मैला कर सकता है।

पारंपरिक चिकित्सा और अनुसंधान

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इस पौधे के अनेक भागो पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किया है जो त्वचा संक्रमण, घाव, पेचिश, मूत्र मार्ग में संक्रमण को इलाज करता है। आजकल मेन्गोस्टीन के अंदर अल्फा मेन्गोस्टिन, बीटा मेन्गोस्टिन, गारसियोन बी और गारसियोन इ जिसे मिलाकर जानतोन्स (xanthones) कहलाया जाता है। प्रयोगशाला अध्ययन से हम जान सकते है कि जानतोन्स मे कैंसर का प्रभाव है। अमेरिकन कैंसर समाज भी साबित किया है कि मेन्गोस्टीन का रस, प्यूरी या छाल मानव में कैंसर के लिए एक इलाज के रूप में प्रभावी है। इसके अलावा इसमे रोधी, सूक्ष्मजीवनिवारक और रोगाणुरोधक के गुण भी है।

अन्य उपयोगों

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मेन्गोस्टीन के टहनियाँ घाना मे छड़ें जुगल के रूप मे इस्तमाल किया है और इसकी लकडी थाईलैंड मे स्पीयर्स और बढ़ईगीरी बनने मे भी इस्तमाल किया है।

मौसमी प्रकृति के कारण मेन्गोस्टीन को सिर्फ ६ से लेकर १० सप्ताह तक विपणन किया है। यह मुख्य रूप से छोटे दुकानदारो के द्वारा उगाया जाता है। यह सडक मे या फल के दुखान मे बेजा जाता है। अनियमित और कम आपूर्ति के कारण इसकी कीमत मे उतर चडाव होता है। मानक उत्पाद की गुणवत्ता मूल्यांकन या ग्रेडिंग सिस्टम न होने के कारण फल के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मुश्किल हो जाता है। मेन्गोस्टीन अभी भी पश्चिमी के देशो मे दुर्लभ है और हमेशा महंगा कीमत पर बेजा हुआ है।

बाहरी कड़ियाँ

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