बैरन द्वीप
बैरन द्वीप (निर्देशांक: 12°16′N 93°51′E / 12.267°N 93.850°E) भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। यह द्वीप लगभग 3 किलोमीटर में फैला है। यहां का ज्वालामुखी 28 मई 2005 में फटा था। तब से अब तक इससे लावा निकल रहा है।
बैरन द्वीप | |
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उच्चतम बिंदु | |
ऊँचाई | 354 मी॰ (1,161 फीट) |
निर्देशांक | 12°17′N 93°52′E / 12.28°N 93.86°Eनिर्देशांक: 12°17′N 93°52′E / 12.28°N 93.86°E |
भूगोल | |
स्थान | अंडमान निकोबार द्वीप समूह, भारत |
भूविज्ञान | |
पर्वत प्रकार | Stratovolcano with pyroclastic cones |
अंतिम विस्फोट | 2013 to 2015 (ongoing) |
स्थिति
संपादित करेंयह अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से लगभग १३८ किलोमीटर उत्तर पूर्व में बंगाल की खाडी में स्थित है|
बैरन द्वीप अंडमान द्वीपों में सबसे पूर्वी द्वीप है। यह भारत ही नहीं अपितु दक्षिण एशिया का एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। ज्वालामुखी हर किसी पहाड़ से नहीं निकलते हैं; यह ज्यादातर वहां पाये जाते है जहाँ टेकटोनिक प्लाटों में तनाव हो या फिर पृथ्वी का भीतरी भाग बहुत गर्म हो। यह द्वीप भारतीय व बर्मी टेकटोनिक प्लाटों के किनारे एक ज्वालामुखी श्रृंखला के मध्य स्तिथ है।
तीन किलोमीटर में फैले इस द्वीप का ज्वालामुखी का पहला रिकॉर्ड सन 1787 का है। तब से अब तक यहाँ दस बार ज्वालामुखी फ़ट चुके है। आज भी यहाँ धूवाँ निकलता देख जा सकता है। 'बैरन' शब्द का मतलब होता है - बंजर, जहाँ कोई रहता नहीं हो। यह द्वीप अपने नाम पर गया है, यहाँ कोई मनुष्य नहीं रहता। कुछ बकरियां, चूहे और पक्षी ही यहाँ दिखेंगे।
बैरन द्वीप आसपास का पानी दुनिया के शीर्ष स्कूबा डाइविंग स्थलों में प्रतिष्ठित है। स्कूबा डाइविंग से यहां के स्पष्ट पानी में मानता रे मछली, कोरल, और लावा से बनी चट्टानें देखी जा सकती हैं।