बोगर, भोगर, अथवा बोगनथर तमिल शैव सिद्धर थे जो 550 से 300 ई॰पू॰ के मध्य में हुये। वो कलंगीनाथर के शिष्य थे। उनका जन्म पलानी पहाड़ियों के निकट वैगवुर में हुआ। विभिन्न परम्पराओं और सामग्री के अनुसार उन्हें उनकी माँ और नाना से शिक्षा मिली।[1] बोगर ने अपनी पुस्तक "बोगर 7000" में स्वयं अपने मूल का वर्णन किया है। बोगर तमिनाडु से चीन गये और प्रबोधन दिया जिसका उल्लेख भी उन्होंने अपनी पुस्तक में किया है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. पंडियन, एम॰ सेंदुर (1993). "BOHAR (1550-1625): RECORD OF HIS VISIT TO CHINA (SUMMARY)". प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस. 54: 757–757. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2249-1937.