बौद्ध शाकाहार इस मान्यता पर आधारित है कि भगवान बुद्ध के उपदेशों में शाकाहार की शिक्षा अन्तर्निहित है। किन्तु बौद्ध धर्म के अन्दर शाकाहार पर भी विविध मत-मतान्तर मौजूद हैं। महायान सम्प्रदाय में प्रायः शाकाहार को मान्यता है किन्तु थेरावाद सम्प्रदाय के कुछ लोग मानते हैं कि बुद्ध ने अपने शिष्यों को शूकर, कुक्कुट और मछली खाने की अनुमति दी थी बशर्ते उनको पता हो कि वह जानवर उनके लिए ही नहीं मारा गया था। कुछ सूत्रों में यह बात सामने आती है कि महात्मा बुद्ध इस बात पर बल देते थे कि उनके अनुयायी किसी ऐसे प्राणी का मांस न खाएं जो संवेदनसमर्थ हो। [1] ब्रह्मजाल सूत्र का अनुसरण करने वाले महायान सम्प्रदाय के भिक्षु किसी भी प्रकार के मांस का सेवन न करने की प्रतिज्ञा करते हैं।

कोरिया के एक बौद्ध भोजनालय में शाकाहारी भोजन
जापान के एक बौद्ध भोजनालय में शाकाहारी भोजन
तैवान के एक बौद्ध भोजनालय में शाकाहारी भोजन

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Sutras on refraining from eating meat". मूल से 5 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जनवरी 2020.