कैथरीन दे ब्रागान्ज़ा (25 नवंबर, 1638 - 31 दिसंबर, 1705), पुर्तगाली: Catarina Henriqueta de Bragança) पुर्तगाली राजकुमारी और इंग्लैण्ड के राजा चार्ल्स द्वितीय की रानी थी। इनका जन्म पुर्तगाल में विला विसोज़ा में हुआ था। इनके पिता जॉन चतुर्थ के राजा बनने पर हुआन होसे दे आस्ट्रिया, फ्रांस्वा दे वेन्दोम, लुई चौदहवें और चार्ल्स द्वितीय के साथ इनके विवाह की बात चली। पिरेनेज़ की संधि के बाद जब फ्रांस ने पुर्तगाल को छोड़ दिया तो इन्हें पुर्तगाल और इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्ध स्थापित करने का साधन माना जाने लगा। 1660 में जब चार्ल्स द्वितीय को शासन की बागडोर फ़िर से मिली तो इन दोनों का विवाह तय कर दिया गया। इंग्लैण्ड आने पर दो विवाह समारोह हुए- पहला कैथोलिक तरीके से गुप्त रूप से और दूसरा 21 मई, 1661 को, एंग्लिकन तरीके से बहुत धूमधाम से। इनके दहेज में चार्ल्स को बम्बई और टैन्जियर बन्दरगाह मिले और चार्ल्स द्वितीय ने बंबई ईस्ट इंडिया कंपनी को वार्षिक किराए पर दे दिया। भाषा अवरोध, चार्ल्स की बेवफाई और कैथोलिकों और एंग्लिकनों के बीच हो रहे संघर्ष की वजह से शुरू में कैथरीन को बहुत कठिनाइयाँ आईं। कैथोलिक होने के कारण इनपर कई बार आरोप लगाए गए, जिनमें से चार्ल्स को जहर देने की साज़िश शामिल है। ये सभी आरोप बेबुनियाद साबित हुए और चार्ल्स ने खुद हर कदम पर कैथरीन का समर्थन किया। चार्ल्स की मृत्यु के बाद इनकी कठिनाइयाँ और बढ़ने लगीं और अंततः मार्च 1692 में ये पुर्तगाल लौट गईं।

कैथरीन दे ब्रागान्ज़ा
चार्ल्स द्वितीय की रानी
कैथरीन दे ब्रागान्ज़ा
कैथरीन दे ब्रागान्ज़ा
जन्म25 नवम्बर, 1638
विला विसोज़ा
निधन31 दिसम्बर, 1705
घरानाब्रागान्ज़ा
पिताजॉन चतुर्थ
मातालुईस दे गुज़मान

वहाँ रहते हुए उसने पुर्तगाल ओर इंग्लैंड के राजनीतिक संबंध दृढ़ करने का प्रयास किया। १७०४ ई. में जब उसके भाई पुर्तगाल नरेश पेडरो द्वितीय बीमार पड़े तो वह पुर्तगाल के शासन की संरक्षिका बनाई गई और उसके इस शासनकाल में पुर्तगाल को स्पेन के विरूद्ध अनेक सफलता मिली। ३१ दिसम्बर १७०५ को उसकी मृत्यु हुई। मरते समय उसने अपनी सारी अर्जित संपत्ति अपने भाई को वसीयत कर दी थी।

लिस्बन, पुर्तगाल में कैथरीन की प्रतिमा

कैथरीन बहुत बार गर्भवती हुईं लेकिन कभी जीवित उत्तराधिकारी को जन्म नही दे पाईं। कैथरीन ने इंग्लैण्ड में चाय पीने का रिवाज शुरु किया। कहा जाता है कि नये यार्क के क्वीन्स इलाके का नाम इनपर रखा गया, लेकिन इसके समर्थन में ऐतिहासिक स्रोत नहीं मिले हैं।