ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग टेस्ट

न्यायालिक मनोविज्ञान की शाखा का मुख्य काम अपराधी,गवाह,पीड़ित या फिर संदिग्ध के द्वारा दिए गए बयानों की सत्यता को जांचना होता है। कई बार देखने मे आया है की की कुछ लोग झुठे बयान दर्ज करवाते है तथा उनकी सत्यता को जांचने के लिए न्यायालय दोनों पक्षों की सहमति से उन्हें forensic मनोविज्ञान विभाग मे भेजा जाता है जहा पर विभिन्न परकार के टेस्ट के द्वारा व्यक्ति के बयाँ को सत्यता की कसोटी पे परखा जाता है। मनोविज्ञान विभाग मे अनेक प्रकार के टेस्ट किये जाते है जिनमे मुख्य रूप से पॉलीग्राफ टेस्ट, नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग आदि टेस्ट किये जाते है। ब्रेन मैपिंग या ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग टेस्ट 1995 मे अमेरिकी न्यूरोलोजिस्ट डॉ लारेंसफारवेल ने अपने नाम से ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग टेस्ट जिसे ब्रेन मैपिंग भी कहते है पेटेंट करवाया। मानवमस्तिष्क इन्सान के सभी ज्ञान जानकारी, अनुभव ,भावनाओ एवं समस्त जानकारी का केंद्र होता है। जब भी हम कोई दृश्य देखते है तो उसके बारे मे सारी चीजे व् जानकारी हमारे मस्तिष्क मे रिकॉर्ड अथवा संगृहीत हो जाती है। जब भी हम उस दृश्य को दोबारा देखते है तो हमारे मस्तिष्क मे उनको देख के स्वभाविक रूप से तरंगे उत्पन होती है ब्रेन मैपिंग या ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग मे हम इन्ही तरंगो को एक सेंसर पे रिकॉर्ड कर लेते है