15 अप्रैल 1687 को भंगाणी का युद्ध हुआ। जिसमें कहिलूर के राजा भीमचंद ने अन्य राजाओं को साथ लेकर गुरु जी पर आक्रमण किया। पौंटा साहिब से सात मील पूर्व की तरफ यमुना और गिरी नदियों के बीच के स्थान भंगाणी पर युद्घ हुआ। इस युद्घ में गुरु जी की बुआ बीबी वीरों जी के पांचों पुत्रों तथा मामा कृपाल चंद जी ने हिस्सा लिया। गुरु जी के सिक्ख महंत कृपालदास जी उदासी ने भारी लाठी द्वारा हयात खान का सिर फोड़ दिया, इसमें गुरु जी की जीत हुई।