भक्ति थापा
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सरदार
भक्ति थापा | |
सरदार भक्ति थापा | |
देउथलका महावृद्धवीर
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जन्म | सन् १७४१ लमजुंग जिल्ला, नेपाल |
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मृत्यु | सन् १८१५ देउथल, उत्तराखण्ड, भारत |
संतान | रामदास सिंह थापा |
धर्म | हिन्दु, क्षेत्री |
Military service | |
निष्ठा | नेपाल |
पद | सरदार |
युद्ध | नेपाल-अंग्रेज युद्ध |
पारितोषिक | राष्ट्रिय विभूति |
भक्ति थापा क्षेत्री वि.स. १९७१ साल में नेपाल-अंग्रेज युद्ध को समय में नेपाल के बरिष्ठ सैनिक थे। उनलाई नेपाल को राष्ट्रिय विभूति माना जाता हैं।
संपादित करेंजन्म
संपादित करेंउनका जन्म सन १७४१ में लमजुंग जिल्ला, नेपाल में क्षत्रिय पुँवर कुल में हुआ था।
नेपाल-अंग्रेज युद्ध
संपादित करेंनेपाल-अंग्रेज युद्ध में ७४ वर्ष के वृद्ध उमर में देऊथल किला में सेना के नायक थे। सर्वोच्च कमाण्डर बडाकाजी अमर सिंह थापा को अपने पोते देकर वृद्ध भक्ति थापा शहादत प्राप्त करने के लिए आगे बडे। देउथल के किले में अंग्रेजी तोपके शिकार होकर वीरगति प्राप्त किया। अंग्रेजो ने दोशला पेहनाकर उनके लाश को इज्जत से गोरखाली गढ में दिया था।