भगवानबाबा
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आबाजी तुबाजी सानप (२९ जुलाई १८९६ - १८ जनवरी १९६५) जो 'भगवानबाबा' के नाम से प्रसिद्ध थे, उनका जनमः सावरगाव घाट तालुका पाटोदा जिल्हा बीड में हुवा था। । महाराष्ट्र के वारकरी सम्प्रदाय के प्रसिद्ध सन्त थे।
परिचय
संपादित करेंभगवानबाबा हिंदुओं के गौरव हैं। जिस दौर में हिंदू धर्म और संस्कृति पर आक्रमण हो रहे थे ऐसे समय में भगवानबाबाने अपने प्राणों की परवाह किये बगैर त्याग का प्रतीक भगवा ध्वज हाथों लेकर धर्म की रक्षा की। यही कारण है की उन्हें आज हर ह्रदय के सम्राट की संज्ञा दी जाती है। देश, धर्म और स्वाभिमान की रक्षा के लिए कितने त्याग किये और अपने धर्म ध्वजा का मान ऊँचा रखा।
गुरु परंपरा
संपादित करेंभगवानबाबाकी गुरुपरंपरा आगे दिइ गई है। नारायण ब्रह्मदेव अत्री ऋषी दत्तात्रेय जनार्दनस्वामी संत एकनाथ गावोबा किंवा नित्यानंद अनंत दयानंद स्वामी पैठणकर आनंदॠषी नगदनारायण महाराज महादेव महाराज (पहिले) शेटीबाबा (दादासाहेब महाराज) गोविंद महाराज नरसू महाराज महादेव महाराज (दुसरे) माणिकबाबा भगवानबाबा [1]
- ↑ "शिष्य परंपरा" (मराठी में). मूल से 6 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-09-13.