भरत (महाभारत)

चक्रवर्ती सम्राट

ययाति वंश प्राचीन भारत के एक क्षत्रिय चन्द्रवंशी सम्राट थे जो कि राजा दुश्यनत और रानी शकुंतला के पुत्र भरत के पुत्र राजा अक्रिड के चार पुत्र थे जो नीचे लिखे है ये क्षत्रिय कोली चन्द्रवंशी के पुव॔ज थे। हरिवंश पव॔ , ४८,, पेज नमबर मे इस का वण॔न मिलता है तुव॔सु के वहनि ,उनके गौभानु ,उनके त्रैसानु ,के करध॔म,के मरुत़ नामक पुत्र हुए |मरुत के पुत्र नही हुआ उन्होने अपनी कन्या सममता यज्ञ के अवसर पर महात्तमा संवत॔ को दे दी | सममता के दुष्यन्त पुत्र हुआ तुव॔सु का वंश पौरव वंश मे मिल गया| इसी वंश मे आगे चलकर ,राजा पाडय ,राजा केलर , राजा राम कोल(कोली) ,राजा चौल ,नामक चार भाई हुए ,जिन्होने अपने अपने नाम से विभिन्न देश बसाए इसी वंश मे गांधार हुए जिनके नाम से गांधार देश विख्यात हुआ|

भरत
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म

महाभारत,आदिपव॔ 77 पृ 177

भहाभारत आदिपव॔ पृ 168-169

हरिवशं पुराण ,33पृ 84- 85

नाम पर ही भारत का नाम है|[1]अतः एक चन्द्रवंशी क्षत्रिय राजा थे।[2] भरत के बल के बारे में ऐसा माना जाता है कि वह बाल्यकाल में वन में खेल ही खेल में अनेक जंगली जानवरों को पकड़कर या तो उन्हें पेड़ों से बाँध देते थे या फिर उनकी सवारी करने लगते थे। इसी कारण ऋषि कण्व के आश्रम के निवासियों ने उनका नाम सर्वदमन रख दिया।

[2]

भरत की कथा

संपादित करें
 
विश्वामित्र तथा मेनका
 
शकुन्तला पीछे मुड़कर देखती हुई
 
शकुन्तला
 
शकुन्तला दुष्यंत की याद में

राजा भरत दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे शकुंतला के पिता का नाम विश्वामित्र था, दुष्यंत गंधर्व राजकुमार से उन्होंने शकुंतला से विवाह किया था लेकिन बाद में वे उन्हें भूल गए थे लेकिन बाद में उन्हें शकुंतला को एक मुद्रिका दी थी एक समय वह मुद्रिका का शकुंतला से खो गई थी जिसे एक मछली निगल लिया था एक मछुआरे ने उस मछली को पकड़कर जब काटा तो उसे मुद्रिका प्राप्त हुई वह उसे बेचने गया लेकिन उसे इसका मूल्य कोई नहीं देख सका फिर वह राजदरबार में गया जब राजा दुष्यंत ने उस मुद्रिका को देखा तो उन्हें शकुंतला की याद वापस आ गई और सत्कार पूर्वक भी शकुंतला और अपने पुत्र भरत को लेकर आ गए आगे चलकर वही भरत चक्रवर्ती के नाम से हस्तिनापुर के राजा बने आज हमारे देश का नाम भारत उन्हीं के नाम की ऊपर रखा गया है सिंहों के साथ बचपन में खेला करते थे पर्वत महावीर शक्तिशाली और पराक्रमी राजा थे।

  1. व्यासम (1973). The Mahabharata, Volume 1 Book 1: The Book of the Beginning - पेज 211. शिकागो विश्वविद्यालय प्रेस.
  2. "महाभारत, संभव पर्व". मूल से 20 मई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मई 2012.