भवसागर एक ब्रह्मांडीय महासागर (cosmic ocean) या खगोलीय नदी (celestial river) के रूप में समझा जा सकता है। यह कई संस्कृतियों और सभ्यताओं की पौराणिक कथाओं में पाई जाने वाली पौराणिक आकृति है, जो ब्रह्माण्ड का विवरण करते हुए बताती हैं कि वह प्रतिनिधित्व करती है, जो कि (मौलिक) जल से आच्छादित है।

भवसागर से बाहर आते हुए ब्रह्मा, विष्णु और शिव (कागज पर अपारदर्शी जल और सोना, सैन डिएगो संग्रहालय, 1835)

इसके अतिरिक्त, हिन्दू धर्म के ग्रंथों में भवसागर का वर्णन आता है। एक साधारण व्यक्ति इससे किसी समुद्र की कल्पना करता है जिसे उसे संसार त्यागने के बाद पार करना पड़ेगा, परंतु वास्तविकता में भवसागर से तात्पर्य है भावनाओं का समुद्र। भावनाएं विचारों में व्यक्त होती हैं और विचारों का स्थान मन है।[1]

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  1. "भवसागर". जागरण. १९ सितंबर २०१७. 19 सितंबर 2017 को मूल से पुरालेखित. {{cite news}}: |first= missing |last= (help)