भारतीय आर्थिक सेवा
भारतीय आर्थिक सेवा (आईईएस) का गठन आर्थिक विश्लेषण, नीति निर्माण और इसके कार्यान्वयन में प्रशिक्षित अधिकारियों के विशिष्ट संवर्ग वाली संगठित समूह ‘’क’’ सेवा के निर्माण के उद्देश्यर से 1961 में किया गया था। आईईएस की भूमिका को मोटे तौर पर आर्थिक सुधार, विनियमन, मूल्यग निर्धारण तथा अनुवीक्षण और मूल्यांआकन जैसे क्षेत्रों में कार्य करने के अतिरिक्त1 आर्थिक सलाह, आर्थिक प्रशासन, विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वायन के संदर्भ में वर्गीकृत किया जा सकता है। इस सेवा का गठन मूलत: विकास नीति के मुद्दों पर आर्थिक सलाह देने के लिए और आर्थिक प्रशासन के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सरकार के भीतर क्षमता निर्मित करने के लिए किया गया था। वर्ष 1991 के आंरभ किए गए आर्थिक सुधार व सरकार की विनियामक भूमिका के विस्ताषर से इस प्रकार की सलाह की अधिक आवश्य कता हुई। भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारी आर्थिक क्रियाकलापों के सभी क्षेत्रों से संबंधित अपेक्षित राय-मशविरा प्रदान करते हैं।
इस सेवा का प्रबंधन भारतीय आर्थिक सेवा नियमावली पर आधारित है जो सबसे पहले 1961 में अधिसूचित की गई थी। इन सेवा नियमों में अन्य बातों के साथ-साथ सेवा का गठन, विभिन्नस ग्रेडों का उल्ले ख, उनके अन्तेर्गत मंजूर की गई कर्मचारियों की संख्यात, सेवा का भावी रखरखाव, नियुक्ति, परिवीक्षा, वरिष्ठमता और सेवा की शर्तों की जानकारी दी गई है। व्याोपक रूप से संशोधित भारतीय आर्थिक सेवा नियमावली 2008 दिनांक 6.6.2008 की अधिसूचना के तहत लाई गई थी।
आईईएस की प्रबंध-व्यवस्था आर्थिक कार्य विभाग के संवर्ग नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा की जाती है। संवर्ग नियंत्रण प्राधिकरण को उच्चवस्तथरीय भारतीय आर्थिक सेवा बोर्ड द्वारा सलाह दी जाती है जिसकी अध्यरक्षता मंत्रिमंडल सचिव करते हैं।
तेजी से बढ़ते वैश्वी करण के परिवेश में निर्णय लेने की प्रक्रिया अब अधिकाधिक आर्थिक तर्कों से निर्देशित होती जा रही है। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे मौजूदा सुधार कार्यक्रम को देखते हुए, भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारियों की भूमिका अधिक महत्वापूर्ण हो गई है। भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारी विशुद्ध आर्थिक क्षेत्रों के अलावा, अब सामाजिक क्षेत्र में भी नीति निर्माण की प्रक्रिया में निर्णायक योगदान कर रहे हैं। आज भारतीय अर्थव्य वस्थाे में चल रही सुधारों की प्रक्रिया में भारतीय आर्थिक सेवा से और भी अधिक महत्व्पूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीपद की जाती है। बढ़ती जरूरतों के अनुसार ढलने के लिए, समय-समय पर भारतीय आर्थिक सेवा की समीक्षा तथा पुनर्संरचना के लिए कदम उठाए जाते रहे हैं।
भारतीय आर्थिक सेवा की संवर्ग संख्या की समय-समय पर भारतीय आर्थिक सेवा बोर्ड द्वारा समीक्षा की जाती है जिसकी अध्यसक्षता मंत्रिमंडल सचिव करते हैं और मंत्रिमंडल द्वारा संवर्ग संख्याा का अनुमोदन किया जाता है। वर्ष 1991 में आईईएस संवर्ग की समीक्षा की गई थी। बाद में, वर्ष 2000 और 2005 में संवर्ग की समीक्षा की गई। भारतीय आर्थिक सेवा की संवर्ग समीक्षा करने और सेवा की पुनर्संरचना पर विचार करने के लिए दिनांक 4.8.2005 को आयोजित बैठक में मंत्रिमंडल ने सेवा के विभिन्नच ग्रेडों में इसकी वर्तमान संवर्ग संख्या को अनुमोदित किया था।
उपर्युक्तं के
- आ अनुसरण में, वर्तमान में आईईएस संवर्ग की अनुमोदित संख्याक 501 है जिसमें 461 तैनाती पद और 40 ड्यूटी रिजर्व पद हैं। ये ड्यूटी पद भारत सरकार के 35 मंत्रालयों/विभागों में हैं।
सन्दर्भ
संपादित करेंभारतीय अर्थिक सेवा 【IES】 इस सेवा में चयनित हुवे अभ्यर्थी वित्तिय से संमबघित सारे कार्य करते है !!!
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कडियाँ
संपादित करें- अर्थपेडिया (भारतीय आर्थिक सेवा द्वारा निर्मित आर्थिक शब्दावली की व्याख्या, अंग्रेजी में)
- संघ लोक सेवा आयोग