भारतीय ताराभौतिकी संस्थान

भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए, अंग्रेज़ी: Indian Institute of Astrophysics) भारत का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है, जो खगोल शास्त्र, ताराभौतिकी एवं संबंधित भौतिकी में शोधकार्य को समर्पित है। इसका मुख्यालय बेंगलूर में है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अवलंब से संचालित यह संस्थान आज देश में खगोल एवं भौतिकी में शोध एवं शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र बन गया है। संस्थान की प्रमुख प्रेक्षण सुविधायें कोडैकनाल, कावलूर, गौरीबिदनूर एवं हान्ले में स्थापित हैं।

भारतीय ताराभौतिकी संस्थान
Indian Institute of Astrophysics, Bangalore
चित्र:Indian Institute of Astrophysics Logo.svg
प्रकारअनुसन्धान संस्थान
स्थापित1971; 53 वर्ष पूर्व (1971)
निदेशकअन्नपूर्णि सुब्रमणियम[1]
स्थानबंगलुरु, कर्नाटक, भारत
परिसरनगरीय
जालस्थलwww.iiap.res.in
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान, बंगलुरु का मुख्य परिसर

उद्गम, विकास एवं वर्तमान स्थिति

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इसका उद्गम मद्रास (चेन्नै) में 1786 में स्थापित की गई एक निजी वेधशाला से जुड़ा है, जो वर्ष 1792 में नुंगम्बाकम में मद्रास वेधशाला के रूप में कार्यशील हुई। वर्ष 1899 में इस वेधशाला को कोडैकनाल में स्थानांतरित किया गया। 1971 में कोडैकनाल वेधशाला ने एक स्वायत्त संस्था भारतीय ताराभौतिकी संस्थान का रूप ले लिया। संस्थान का मुख्यालय कोरमंगला, बेंगलूर में अपने नए परिसर में वर्ष 1975 में स्थानांतरित हो गया।

एक शताब्दी से भी अधिक समय से कोडैकनाल वेधशाला प्रेक्षणात्मक सौर एवं वायुमंडलीय भौतिकी में सक्रियता का मुख्य केन्द्र रही है। कावलूर स्थित वेणुबप्पू वेधशाला 1960 के दशक से रात्रिकालीन खगोल की मुख्य प्रकाशिक वेधशाला रही है। यहां अनेक दूरदर्शी कार्यशील हैं जिनमें प्रमुख हैं - 2.34 मीटर वेणुबप्पू दूरदर्शी। गौरीबिदनूर रेडियो वेधशाला में एक डेकामीटर तरंग रेडियो दूरदर्शी विन्यास एवं रेडियो होलियोग्राफ स्थापित है।

दक्षिण पूर्व लद्दाख के हान्ले नामक स्थान में स्थापित की गई नई उच्च उत्तुंग भारतीय खगोल वेधशाला ने संस्थान की रात्रिकालीन खगोल संबंधी सुविधाओं में वृद्धि की है। यहां वर्ष 2001 से 2 मीटर व्यास का हिमालयन चंद्रा दूरदर्शी कार्यरत है। सात इकाइयों वाला एक उत्तुंग गामा किरण दूरदर्शी भी हान्ले में हाल ही में स्थापित किया गया है।

बेंगलूर परिसर में एक विशाल पुस्तकालय, संगणक केन्द्र, भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिकी प्रयोगशालायें, प्रकाशिकी तथा यांत्रिक कार्यशालायें विद्यमान हैं जो संस्थान के सक्रिय उपकरण विकास कार्यक्रम को ठोस अवलंब देती है।

वेधशालाएँ

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वेणुबप्पू वेधशाला

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कौडैकनाल वेधशाला

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गौरीबिदनूर वेधशाला

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आई आई ए मुख्य अहाता

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अनुसंधान तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा केंद्र

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माउन्ट आबू अवरक्त वेधशाला[2]

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माउंट आबू आईआर वेधशाला, गुरुशिखर के पास, माउंट आबू राजस्थान में स्थित है। प्रकाशिक और आईआर वेधशाला की स्थापना और अवरक्त और प्रकाशिक खगोल विज्ञान कार्यक्रम की शुरुआत के विचार को पीआरएल द्वारा 1970 के दशक के दौरान प्रस्तुत किया गया था। खगोलीय साइट की उपयुक्तता के लिए कई स्थानों के सर्वेक्षण के बाद, राजस्थान में माउंट आबू में अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी, गुरुशिखर को सबसे उपयुक्त पाया गया, जिसका कारण यहां कम जल वाष्प का होना, काफी अच्छी दृश्यता के साथ 220 से अधिक अवलोकनीय रातें और पीआरएल, अहमदाबाद से साइट की दूरी (240 कि.मी.) होना था।इस साइट के विकास की जिम्मेदारी इसरो को दी गई जिसमें एप्रोच सड़क का निर्माण, दूरबीन का निर्माण और अन्य सुविधाओं, दूरबीन माउंट और गुंबद का निर्माण आदि शामिल था। पूरी वेधशाला का डिजाइन और विकास देश में ही किया गया था। दूरबीन नियंत्रण सहित दूरबीन ड्राइव, माउंट और अन्य सहायक प्रणालियों का डिजाइन शार केंद्र द्वारा किया गया था जिसने चेन्नई में निर्माण कार्य की देखरेख भी की थी। दर्पण निर्माण, चमकाने और अन्य प्रकाशिकी की जिम्मेदारी भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलूरु की थी। खगोलीय प्रेक्षण का एक सबसे महत्वपूर्ण घटक, सभी बैक-एंड उपकरणों को वेधशाला की स्थापना के साथ-साथ विकसित किया गया था। यह ध्यान देने योग्य है कि उन प्रारंभिक उपकरणों में से कुछ अभी भी कार्य कर रहे हैं और नई पीढ़ी के उपकरणों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। अल्फा ऐरिटस तारे की "पहली प्रकाश" छवि 19 नवम्बर 1994 को 1.2 मीटर दूरबीन से प्राप्त की गई थी जो उसकी प्रकाशिकी की उत्कृष्ट गुणवत्ता को प्रमाणित करता है। इस वेधशाला का नियमित संचालन 7 दिसंबर, 1994 को आईआरसी-10557 (v एक्वेरी) के चंद्र उपगूहन अध्ययन के तुरंत बाद शुरू हो गया था। इन वर्षों में इसने खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी संकाय के वैज्ञानिक कार्यक्रमों की अवलोकन आवश्यकताओं को पूरा किया है। इन अनुसंधान कार्यक्रमों में तारा रचना, तारकीय संरचना और विकास, धूमकेतु, नोवा और बाइनरी सिस्टम, सुपरनोवा, चंद्र उपगूहन अध्ययन और स्टारबर्स्ट और सक्रिय गांगेय नाभिक जैसे पिंडों और घटनाओं की विस्तृत रेंज को कवर किया जाता है। इसमें इमेजिंग प्रकाशमिति, स्पेक्ट्रोस्कोपी और ध्रुवणमापन तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। MIRO से किए गए अवलोकनों से प्राप्त खगोलीय डेटा से अब तक 150 से अधिक समकक्ष समीक्षित अनुसंधान प्रकाशन प्रकाशित हुए हैं। MIRO में साधारण खगोलीय सुविधाओं को देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। वेधशाला एक बड़े, 2.5 मीटर दूरबीन प्राप्त करने की प्रक्रिया में है जिससे इसके वैज्ञानिक कार्यक्रमों को काफी बढ़ावा मिलेगा।

१.२ मीटर दूरबीन

MIRO के १.२ मीटर आईआर दूरबीन को इसरो के शार केंद्र द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था। यह दूरबीन एक भूमध्यरेखीय शूल माउंट पर स्थित है। सभी मूल इलेक्ट्रॉनिक्स हाल ही में पीआरएल के इंजीनियरों द्वारा बदल दिए गए हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स और नियंत्रण/ड्राइव सिस्टम के वर्तमान संस्करण लिनक्स पीसी द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर को भी पीआरएल में ही विकसित किया गया था। सामान्य 'नक्षत्र' ट्रैकिंग के अलावा, धूमकेतुओं और क्षुद्रग्रहों जैसे तेजी से घूमने वाले पिंडों के लिए गैर नक्षत्र दर पर नज़र रखना संभव है।

परिवर्तनशीलता अध्ययन के लिए स्वचालित दूरबीन (ATVs ०.५ मीटर)

MIRO वेधशाला में "परिवर्तनशीलता अध्ययन के लिए स्वचालित दूरबीन" या ATVS एक नव स्थापित अवलोकन सुविधा है। यह प्लेनवेव इंस्ट्रुमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रदान CDK20 प्रणाली है। प्लेनवेव इंस्ट्रुमेंट्स CDK20 एक 20 इंच (०.५मीटर) f/6.8 संवर्धित डेल-किर्खम एस्ट्रोग्राफ दूरबीन है। ATVS पूरी तरह से स्वचालित रोबोट दूरबीन है और इसलिए पीआरएल नेटवर्क में कहीं से भी संचालित किया जा सकता है। बैकएंड उपकरणों के अलावा, ATVs प्रणाली में बोल्टवुड बादल सेंसर, आल स्काई कैमरा, शटर ड्राइव और नियंत्रण प्रणाली, और गुंबद ड्राइव और रोबोट ऑपरेशन में समन्वय करने वाले नियंत्रण प्रणाली सहायक उपकरण शामिल हैं। ATVS प्रणाली के विभिन्न घटकों के संचालन के लिए ड्राइवर पीआरएल में विकसित किए गए हैं।

बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Director's Page | Indian Institute of Astrophysics". Iiap.res.in. 24 October 2019. अभिगमन तिथि 24 October 2019.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 मई 2017.