भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर) भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक अनुसंधानपरक स्वायत्त संस्थान है। इसकी स्थापना 1977 की गयी थी। इसका उद्देश्य भारतीय दर्शन की पूरी परंपरा को अपने प्राचीन मूल रूप से वापस लाना, उसका पोषण करना तथा नए विचारों को आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करना है।

संगठनात्मक संरचना संपादित करें

परिषद् (काऊंसिल) अपनी व्यापक सदस्यता आधार पर प्रतिष्ठित है। इसमें दार्शनिक, सामाजिक वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद्, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, केन्द्रीय सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि शामिल हैं।

परिषद् के मुख्य आधिकारिक देह (अथॉरिटी) हैं - शासी निकाय (गवर्निंग बॉडी) और अनुसंधान परियोजना समिति (RPC)। शासी निकाय, जिसमें अध्यक्ष, सदस्य सचिव, कम से कम तीन या अधिकतम आठ सदस्य जो कि परिषद् (काऊंसिल) में नियुक्त सदस्यों से होते हैं साथ ही, मानव संसाधन विकास और वित्त मंत्रालय प्रत्येक में से प्रतिनिधि एक सदस्य और उत्तर प्रदेश सरकार के दो नामांकित सदस्य, परिषद् के मामलों का प्रशासन, निर्देशन और नियंत्रण करते हैं। अनुसंधान परियोजना समिति परिषद् (काऊंसिल) द्वारा नियुक्त कम से कम पाँच या अधिकतम नौ सदस्य, जिसमें अध्यक्ष, सदस्य सचिव, भी समाहित हैं, अनुदान सहायता परियोजनाओं और अन्य परिषद् द्वारा प्राप्त या योजना बनाई प्रस्तावों की परीक्षा एवं अनुमोदन प्रदान करती है। वित्त समिति बजट अनुमानों और अन्य खर्च शामिल प्रस्तावों की परीक्षण/संवीक्षा करती है।

इतिहास संपादित करें

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् की स्थापना दर्शन पर गंभीर शोध एवं भारत की सतत् जीवंत दार्शनिक परंपरा के संरक्षण के उद्देश्य से किया गया था।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें