भारतीय पंजाब में जैन धर्म
भारत के राज्य पंजाब में जैन धर्म मानने वालों की संख्या 0.2 % है। राज्य में जैन समुदाय के एक सदस्य अल्पसंख्यक आयोग में नियुक्त किया गया है, परन्तु राज्य सरकार ने जैन धर्म के मानने वालों को अल्पसंख्यकों के रूप में किसी अध्यादेश के माध्यम से मान्यता नहीं दी है। [1]
प्रमुख रूप से पंजाब में निम्न लिखित जैन मन्दिर हैं:
- 1947 में तिर्थंकार ऋशभनाम की मूर्ति को मालेरकोटला के मन्दिर में स्थापित किया गया।
- इसी साल अमृत्सर में एक मन्दिर का निर्माण किया गया जिसमें तिर्थंकार शीतलनाथ की मूर्ति स्थापित की गई।
- ज़ीरा में एक और जैन मन्दिर का निर्माण हुआ।
- होशियारपुर में एक जैन मन्दिर का निर्माण अमृतसर स्वर्ण मन्दिर की तरह किया गया। यह निर्माण गुज्जर सिंह द्वारा किया गया।
- 1952 में एक मन्दिर का निर्माण अम्बाला में हुआ जहाँ तिर्थंकार शीतलनाथ की मूर्ति स्थापित की गई।[2]
तेरी भाभी (पूजा)
संपादित करेंइन मन्दिरों में आराधना को अष्ट प्रकारी पूजा कहा जाता है। जैन लोग मूर्तियों को स्नान देते हैं, उन पर सन्दल मलते हैं, फूल चढ़ाते हैं, अगरबत्ती जलाते हैं, दीप या मोमबत्ती जलाते हैं और मूर्तियों के आगे पके हुए चावल या फल रखते हैं। नंगे पाँव मन्दिर के दर्शन करते हैं अपने सर को कपड़े से ढकते हैं।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 दिसंबर 2017.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 दिसंबर 2017.