भारतीय पाठक सर्वेक्षण
भारतीय पाठक सर्वेक्षण (The Igqkendian Readership Survey (IRS)) विश्व का सबसे बड़ा पाठक सर्वे है। इसमें प्रति वर्ष ढाई लाख से अधिक पाठकों का सर्वेक्षण किया जाता है।
भारतीय पाठक सर्वेक्षण २०१७
संपादित करेंमीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल (एमआरयूसी) ने वर्ष 2017 का पाठक सर्वेक्षण जारी कर दिया है। इस में 3 लाख 20 हजार घरों की राय ली गई है जो इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा नमूना (सैंपल) भी है। 16 महीने के लंबे समय में सर्वे को 26 राज्यों में पूरा किया गया। यह सर्वे रीडरशीप स्टडीज काउंसिल ऑफ इंडिया और मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल ने करवाया था।
भारत के सभी भाषाओं के अखबारों की कुल पाठक संख्या के आधार पर जो २० सर्वाधिक पठित सूची बनी है , उसमें हिन्दी समाचार पत्र दैनिक जागरण सबसे ऊपर है। सर्वाधिक पढ़े जाने वाले दस भारतीय अखबारों में अंग्रेजी भाषा का एक भी पत्र नहीं है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया भले ही अंग्रेजी अखबारों में प्रथम स्थान पर है लेकिन सभी भारतीय भाषाओं के अखबारों की कुल प्रसार संख्या के मामले में ग्यारहवें स्थान पर है। बीस स्थानों में केवल एक ही अंग्रेजी का अखबार अपना स्थान बना पाया है जबकि हिन्दी के ८ पत्र प्रथम २० में स्थान बनाने में सफल हुए हैं।
नीचे प्रथम ११ पत्रों की सूची और उनकी पाठक संख्या दी गयी है-
- (१) दैनिक जागरण -- 7,03,77,000
- (२) हिन्दुस्तान -- 5,23,97,000
- (३) अमर उजाला --4,60,94,000
- (४) दैनिक भास्कर -- 4,51,05,000
- (५) डेली तान्ती (तमिल) -- 2,31,49,000
- (६) लोकमत (मराठी) -- 1,80,66,000
- (७) राजस्थान पत्रिका -- 1,63,26,000
- (८) मलयल मनोरमा (मलयालम) -- 1,59,95,000
- (९) इनाडु (तेलुगु) -- 1,58,48,000
- (१०) प्रभात खबर -- 1,34,92,000
- (११) ताइम्स ऑफ इंडिया (अंग्रेजी) -- 1,30,47,000
विश्लेषण
संपादित करेंमीडिया विश्लेषक समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या में हुई वृद्धि का बड़ा कारण देश में नवशैक्षिक वर्ग के उभार को मानते हैं। भारत के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में नए पढ़े-लिखे लोगों की संख्या तजी से बढ़ रही है। पहली पीढ़ी के ऐसे साक्षरों के लिए अख़बार पढ़ना उनकी साक्षरता को साबित करने का सबसे महत्वपूर्ण साधान है। यह बात भारत की जनगणना के ताजा आंकड़ों से भी सिद्ध होती है। 2011 की जनगणना में भारत में 74 प्रतिशत लोगों को साक्षर पाया गया है, जबकि 2001 में यही आंकड़ा 64.8 प्रतिशत था।
2017 में आई फिक्की-केपीएमजी की रिपोर्ट ने भी प्रिंट मीडिया की वृद्धि की तरफ संकेत किया था। यह भी उत्साहवर्धक है कि प्रिंट में भी यह विकास अधिकांशतः हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में ही हुआ है। जबकि अंग्रेजी अखबारों के पाठक मेट्रो और द्वितीय श्रेणी के नगरों तक की सीमित हैं।
सम्पूर्ण विश्व में प्रिंट मीडिया का दायरा लगातार सिमट रहा है, इसके विपरीत भारत में यह तेजी से बढ़ रहा है।
भारतीय पाठक सर्वेक्षण २०१९
संपादित करें2019 की पहली तिमाही के लिए इंडियन रीडरशिप सर्वे (आईआरएस) की रिपोर्ट जारी कर दी गई है। इसके अनुसार, दैनिक जागरण सात करोड़ 36 लाख 73 हजार पाठक संख्या के साथ पहले स्थान पर है, दैनिक भास्कर 5.14 करोड़ पाठकों के साथ दूसरे स्थान पर है, अमर उजाला पाठक संख्या 4.76 करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर है। 'हिन्दुस्तान' और 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं क्योंकि अभी इनकी समीक्षा की जा रही है। कुछ हफ्तों बाद हिंदुस्तान समूह के आंकड़े जारी होने पर रैंकिंग में बदलाव आने के आसार हैं। इसमें शीर्ष 10 अखबारों की सूची में अंग्रेजी का केवल एक अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' है। यह अंग्रेजी अखबार एक करोड 52 लाख 36 हजार की पाठक संख्या के साथ नौवें स्थान पर है।
रपट में कहा गया है कि प्रिन्ट उद्योग बढ़ रहा है। रपट में आईआरएस के 2017 के सर्वेक्षण के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर कहा गया है कि तब से अब तक पाठकों की संख्या में 1.8 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गयी है, जबकि पत्रिकाओं के 90 लाख अतिरिक्त पाठक हुये हैं।
पूरी दुनिया में जहां एक तरफ प्रिंट मीडिया उद्योग ढलान पर है, वहीं भारत में हिंदी पत्र-पत्रिकाओं सहित क्षेत्रीय भाषाओं के मीडिया के योगदान की बदौलत प्रिंट मीडिया के पाठकों की संख्या बढ़कर 42.5 करोड़ तक पहुंच गयी। इस वृद्धि में हिंदी समाचार पत्रों का योगदान सबसे अधिक रहा है क्योंकि इसके पाठकों की संख्या एक करोड़ तक बढ़ी है। क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी पत्रों के पाठकों की संख्या भी बढ़ी है।
एमआरयूसी के चेयरमैन आशीष भसीन ने मुंबई में रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि गांवों, शहरों और महानगरों के तीन लाख 24 हजार घरों से लिए गए आंकड़ों का अध्ययन कर यह सर्वे तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह धारणा एक बार फिर टूटी है कि इंटरनेट की वजह से समाचार पत्रों के पाठक कम हो रहे हैं। भसीन के अनुसार प्रिंट मीडिया तेज रफ्तार से बढ़ रहा है और पिछले सर्वे के 40 करोड़ 70 लाख के मुकाबले आज इसके पाठकों की संख्या 42 करोड़ 50 लाख हो चुकी है।