भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर

इंदौर, मध्य प्रदेश में स्वायत्त सार्वजनिक बिजनेस स्कूल

भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर, एक सरकार द्वारा स्थापित प्रबंधन संस्थान इंदौर, मध्य प्रदेश में है। १९९८ में स्थापित, आईआईएम इंदौर प्रतिष्ठित आईआईएम परिवार का छठा सदस्य है। वर्तमान में संस्थान की एनआईआरएफ रैंकिंग पांचवें स्थान पर है। वर्ष 2011 में कक्षा बारहवीं के बाद युवाओं को प्रबंध की शिक्षा के लिए भारत में पहली बार इस संस्थान में पंचवर्षीय एकीकृत कार्यक्रम (आईपीएम ) प्रारंभ किया गया । इस कार्यक्रम में विश्व स्तरीय शिक्षा के साथ बी.ए.(फाउंडेशन इन मैनेजमेंट) एवं एमबीए की डिग्री दी जाती है,यह अपने आप में एक अनूठा प्रयास है। प्रबंध शिखर के नाम से जाना जाने वाला आई आई एम इंदौर का सुंदर १९३ एकड़ (७८१,००० वर्ग मीटर) परिसर इंदौर के बाहरी इलाके पर एक छोटी पहाड़ी के ऊपर स्थित है। यह संस्थान लगातार भारत के शीर्ष प्रबंध विद्यालयों के बीच वरीयता पाता है।[4][5][6][7] आईआईएम इंदौर के लिए समग्र स्वीकृति दर लगभग ०.३ से ०.४% आवेदकों के लिए है।[8][9]

भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर
ध्येयसिद्धिमूलं प्रबंधनम
प्रकारसरकारी
स्थापित१९९८
निदेशकप्रोफेसर हिमांशु राय
शैक्षिक कर्मचारी
३४ स्थायी[1], ४९ अस्थायी[2]
छात्र४८० एमबीए,१२० प्रबंध में एकीकृत पंचवर्षीय कार्यक्रम(आईपीएम), ६० एक्सिक्यूटिव एमबीए, ३० पीएचडी [3]
स्थानइंदौर, मध्य प्रदेश, भारत
परिसर१९३ एकड़
संबद्धताएंभारतीय प्रबंध संस्थान
जालस्थलwww.iimidr.ac.in

आईआईएम इंदौर धीरे-धीरे, प्रबंधन पाठ्यक्रम में अपने दो वर्ष पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा के लिए, वार्षिक छात्रों की प्रवेश संख्या १९९८ में लगभग ५० से बढ़ा कर २०१० में ४५० तक ले आया है। २७ नवम्बर २००८ पर प्रो एन रविचंद्रन ५ साल की अवधि के लिए संस्थान के निदेशक के रूप में शामिल हो गए थे। वर्तमान में प्रोफेसर हिमांशु राय निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।[10]

आईआईएम इंदौर जो १९९८ में अस्तित्व में आया, आईआईएम कलकत्ता (१९६१), आईआईएम अहमदाबाद (१९६३), आईआईएम बंगलौर (1972), आईआईएम लखनऊ (1984) और आईआईएम कोझिकोड (1996) के बाद स्थापित हुआ छठा भारतीय प्रबंध संस्थान है। यह संस्थान आईआईएम के बीच सबसे नया था जब तक २००८ में आईआईएम शिलांग का गठन किया गया।

इस संस्थान की कल्पना मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह ने की थी। इस संस्थान की स्थापना देश के मध्य क्षेत्र में प्रबंधन की शिक्षा को एक प्रोत्साहन देने के लिए की गयी थी और आंशिक प्रभाव यह भी था की श्री अर्जुन सिंह इस राज्य के निवासी हैं। इस संस्थान का पुराना अस्थायी परिसर राजेंद्र नगर, इंदौर में २००२ तक स्थित था, जिसके बाद  संस्थान अपने वर्तमान परिसर पीथमपुर विशेष आर्थिक जोन के करीब राऊ में राऊ-पीथमपुर मार्ग पर चला गया।

बाहरी कड़ियाँ

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  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 9 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 9 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 नवंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 10 सितंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  9. "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अक्तूबर 2010.
  10. http://www.mbauniverse.com/archivedArticle.php?id=ne&pageId=1635