भारती (अनुसन्धान केंद्र )

अंटार्कटिका में भारतीय अनुसंधान केन्द्र

भारती अंटार्कटिका में भारत द्वारा स्थापित अनुसन्धान केंद्र का नाम है। यह अंटार्कटिका में भारत द्वारा स्थापित तीसरा अनुसन्धान केंद्र है।[1] इसके पूर्व दक्षिण गंगोत्री और मैत्री अनुसन्धान केंद्र स्थापित किये जा चुके हैं। वर्तमान बर्फ में दव जाने के कारण दक्षिण गंगोत्री को सप्लाई बेस के रूप में प्रयुक्त हो रहा है। जब कि मैत्री अनुसन्धान केंद्र चालू है.। मैत्री और भारती अनुसन्धान केंद्र स्थायी रूप से काम कर रहे हैं। YouTube channel - G BADMASH BOT

अंटार्कटिका का नक्शा

पूर्वी अंटार्कटिका की लार्सेमन हिल्स और पेनीसूलास हिल्स के बीच पथरीली भूमि पर स्थित है।यह स्थल प्राकृतिक रूप से एक ग्रेनाइट पहाड़ी है। जो समुद्र तल से लगभग ९० मीटर ऊँचा टावर जैसा दिखाई पड़ता है। यह अनुसंधान केंद्र मैत्री अनुसंधान केन्द्र से लगभग ३,००० किलोमीटर दूर स्थित है। [1]ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और भारत एक साथ मिलकर इस सुपर-महाद्वीप का एक हिस्सा बन गए हैं। भारत के पूर्वी तट के गोंडवानालैंड से अंटार्टिका के तट से तुलना की जा सकती है।

इस अनुसंधान केंद्र की स्थापना 18/03/2012 में हुई थी।[1]

रुपये 2900 मिलियन[1]

अनुसंधान का विषय

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अंटार्टिका में भारत की नदियों के बेसिन की चट्टानों और खनिज पदार्थों से लार्समैन पहाड़ी की चट्टानों और खनिज पदार्थों का तुलनात्मक अध्ययन। ध्रुवीय विज्ञान और क्रयोसफेरे(cryosphere),( जो अंटार्कटिका, आर्कटिक) में अनुसंधान गतिविधियां और हिमालय के ग्लेशियरों से तुलनात्मक अध्ययन शामिल। [1]

  • अंटार्कटिका में भारतीय वन्य जीव संस्थान के विज्ञानियों ने पेंग्विन (एडली) के 800 घोंसलों वाली नई ब्रीडिंग कॉलोनी खोज निकाली है।[2]
  • डॉ रूपेश एम दास:(18/03/2012--[1]भारतीय नौसेना के मौसम विज्ञानी लेफ्टिनेंट राम चरण 1960 में एक ऑस्ट्रेलियाई ध्रुवीय अभियान के साथ अंटार्कटिका जाने वाले पहले भारतीय थे।
  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2016.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 सितंबर 2017.