भारत का पुरापाषाण युग
पुरापाषाण काल (अंग्रेजी Palaeolithic) प्रागैतिहासिक युग का वह समय है जब मानव ने पत्थर के औजार बनाना सबसे पहले आरम्भ किया। यह काल आधुनिक काल से २५-२० लाख साल पूर्व से लेकर १२,००० साल पूर्व तक माना जाता है। इस दौरान मानव इतिहास का ९९% विकास हुआ। इस काल के बाद मध्यपाषाण युग का प्रारंभ हुआ जब मानव ने खेती करना शुरु किया था।
भारत में पुरापाषाण काल के अवशेष तमिल नाडु के कुरनूल, कर्नाटक के हुँस्न्गी, ओडिशा के कुलिआना, राजस्थान के डीडवानाके श्रृंगी तालाब के निकट और मध्य प्रदेश के भीमबेटका में मिलते हैं। इन अवशेषो की संख्या मध्यपाषाण काल के प्राप्त अवशेषो से बहुत कम है।[1]
सिंध के रोहड़ी पठार अथवा विंध्य पर्वत शृंखला के उत्तरी हिस्सों जैसे पठारिय क्षेत्र मे इनकी प्राप्ति हुई है । किन्तु प्रायद्वीपीय भारत मे पुरापाषाण युगीन स्थलों की भरमार है । ऐसा स्वाभाविक है की इनका निवास स्थान नदियों तथा जयस्रोतों और गुफा आश्रयणीयों की प्राकृतिक उपलब्धता पर निर्भर होगा । [2]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ भारत में पुरातत्वीक महत्व के स्थान Archived 2009-04-09 at the वेबैक मशीन (अंग्रेजी)
- ↑ सिंह, उपिन्दर. प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत का इतिहास. Pearson. पृ॰ 67. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-317-7474-8.