भारत में अपूर्व वन्यजीवों का संरक्षण
भारत में विविध प्रकार के वन्यजीवों की एक समृद्ध धरोहर है, जिसमें दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं। इनकी अद्वितीयता और पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका के कारण इनका संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत की जैव विविधता दुनिया में सबसे समृद्ध मानी जाती है, और यहां के वन्यजीवों का संरक्षण न केवल देश के पर्यावरणीय संतुलन के लिए आवश्यक है, बल्कि वैश्विक जैविक संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।[1]
भारत में दुर्लभ वन्यजीवों की स्थिति
भारत में कई वन्यजीव प्रजातियाँ जो एक समय पर प्रचुर मात्रा में पाई जाती थीं, अब संकट में हैं। इनमें से कुछ प्रजातियाँ लुप्त होने के कगार पर हैं, और उनकी संख्या में तेज़ी से गिरावट आई है। उदाहरण के तौर पर, बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, गैंडे, और काले भालू जैसी प्रजातियाँ अब संरक्षण की आवश्यकता महसूस करती हैं। इन प्रजातियों का विलुप्त होना पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरे प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि ये जीव अपने पर्यावरण को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कारण
वन्यजीवों के संरक्षण में संकट का मुख्य कारण है मानव गतिविधियाँ। जंगलों की अंधाधुंध कटाई, शिकार, वन्यजीवों का व्यापार, और प्राकृतिक आवासों का विनाश इन प्रजातियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुके हैं। साथ ही, जलवायु परिवर्तन भी वन्यजीवों के जीवन पर असर डाल रहा है, क्योंकि यह उनकी जीवनशैली और भोजन की श्रृंखला को प्रभावित करता है। इन समस्याओं से निपटने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।
संरक्षण के प्रयास
भारत में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कई पहलें की जा रही हैं। भारतीय सरकार ने वन्यजीव संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 बनाया, जो वन्यजीवों के शिकार को अवैध घोषित करता है और उनके संरक्षण के लिए विभिन्न उपायों की बात करता है। इस अधिनियम के तहत कई वन्यजीवों को "संरक्षित प्रजातियों" के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और इनके शिकार पर कानूनी प्रतिबंध लगाया गया है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय उद्यानों और संगठित अभ्यारण्य क्षेत्रों का निर्माण किया गया है, जहां वन्यजीवों को सुरक्षित आवास मिलता है। उदाहरण के लिए, सुंदरबन वन्यजीव अभ्यारण्य और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जैसे स्थानों पर बाघों और गैंडों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित करने के लिए, भारत ने ईकोसिस्टम आधारित संरक्षण और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के सिद्धांतों को अपनाया है। यह न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि मानव जीवन के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही, वन्यजीवों की जनसंख्या पुनर्निर्माण के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जैसे बाघों के संरक्षण के लिए "प्रोजेक्ट टाइगर" और गैंडों के लिए "राइनो प्रोटेक्शन प्रोग्राम"।
समुदायों की भूमिका
वन्यजीवों के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। कई स्थानों पर आदिवासी और ग्रामीण समुदाय जंगलों की देखभाल करते हैं और संरक्षण कार्यों में भाग लेते हैं। इन समुदायों को संरक्षण कार्यों में जोड़ने से उनके जीवनयापन में सुधार होता है, और साथ ही वे पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं।
भारत में इको-टूरिज्म भी एक बढ़ता हुआ क्षेत्र है, जो वन्यजीवों के संरक्षण को बढ़ावा देता है। पर्यटन से मिलने वाली आय का एक हिस्सा संरक्षण गतिविधियों में लगाया जाता है, जिससे न केवल वन्यजीवों का संरक्षण होता है, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी लाभ मिलता है।
चुनौतियाँ और भविष्य
भारत में दुर्लभ वन्यजीवों के संरक्षण के प्रयासों के बावजूद कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। शहरीकरण, जंगलों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और अवैध शिकार जैसे कारण वन्यजीवों के लिए खतरा बने हुए हैं। इसके अलावा, पर्यावरणीय नीति में सुधार और कड़े कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
भारत को अपने वन्यजीवों का संरक्षण करने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है। इससे न केवल प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित होगा।
निष्कर्ष
भारत में दुर्लभ और संकटग्रस्त वन्यजीवों का संरक्षण एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसे सरकार, संगठन और समुदायों के मिलकर किए गए प्रयासों से ही सफल बनाया जा सकता है। इसके लिए जागरूकता बढ़ाना, संरक्षण कानूनों को कड़ाई से लागू करना और प्राकृतिक आवासों को बचाना अत्यंत आवश्यक है। यदि इन प्रयासों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए तो हम अपनी प्राकृतिक धरोहर को बचाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित पर्यावरण प्रदान करने में सक्षम होंगे।
संदर्भ-
https://wildlifesos.org/animals/saving-the-endangered-animals-of-india-a-race-against-time/
https://study.com/academy/lesson/endangered-species-conservation-in-india.html
https://pib.gov.in/Pressreleaseshare.aspx?PRID=1593450
- ↑ Banerjee, Neellohit (2022-04-08). "Saving The Endangered Animals Of India-A Race Against Time". Wildlife SOS (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-12-16.