भारत में लौह युग
भारतीय उपमहाद्वीप की प्रागितिहास में, लौह युग गत हड़प्पा संस्कृति (कब्र संस्कृति) के उत्तरगामी काल कहलाता है।[1] वर्तमान में उत्तरी भारत के मुख्य लौह युग की पुरातात्विक संस्कृतियां, गेरूए रंग के मिट्टी के बर्तनों की संस्कृति (1200 से 600 ईसा पूर्व) और उत्तरी काले रंग के तराशे बर्तन की संस्कृति (700 से 200 ईसा पूर्व) में देखी जा सकती हैं। इस काल के अंत तक वैदिक काल के जनपद या जनजातीय राज्यों का सोलह महाजनपदों या प्रागैतिहासिक काल के राज्यों के रूप में संक्रमण हुआ, जो ऐतिहासिक बौद्ध मौर्य साम्राज्य के उद्भव में सहायक हुआ।[2]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ The archaeological term "Iron Age" began to be commonly applied to Indian prehistory in the 1960s (N. R. Banerjee, The Iron Age in India, 1965). Note that the use of "Iron Age" for the Kali Yuga is earlier but unrelated, referencing references the mythological "Ages of Man" of Hesiod.
- ↑ "the date of the beginning of iron smelting in India may well be placed as early as the sixteenth century BC [...] by about the early decade of thirteenth century BCE iron smelting was definitely known in India on a bigger scale" Rakesh Tewari (2003), The origins of Iron-working in India: New evidence from the Central Ganga Plain and the Eastern Vindhyas. Archived 2005-05-10 at the वेबैक मशीन Archaeology Online