भाभर निम्न हिमालय और शिवालिक की पहाड़ियों के दक्षिणी ओर बसा एक क्षेत्र है[1] जहाँ पर जलोढ़ ग्रेड हिन्द -गंगा क्षेत्र के मैदानों में विलीन हो जाती है। भाभर कुमाऊनी और गढ़वाली भाषा में तरई वाले हिस्से को कहा जाता हैं जहा की भूमि समतल हो

भाभर में आज कुमाऊं और गढ़वाल के कई शहर शामिल जिमसे हल्द्वानी, रामनगर,खटीमा,बिन्दुख्त, काशीपुर, बाजपुर,कोटद्वार

रुद्रपुर, दिनेशपुर और गदरपुर शामिल है| १९४७ से पहले यहां घने जंगल थे और यहां कुमाऊनी और थारू जनजाति के लोग निवास करते थे| १९४७ के भारत पाकिस्तान बटवारे के बाद यहां पाकिस्तानी सिख और बांग्लादेशी हिंदुओ को बसायाए गया| भाभर के निचले हिस्से में सिख और बांग्लदेसी की संख्या अधिक होने के कारण इसे नैनीताल जिले से अलग जिला बनया गया जिसे उधम सिंह नगर नाम दिया गया जिसके बाद यहां कुमाऊनी और थारू लोग अल्पसंख्यक हो गए और यहां कुमाऊनी भाषा भी खत्म होने लगी और पंजाबी और बंगाली भाषा का अधिक उपयोग होने लगा|

नामोत्पत्ति

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भाबर नाम एक स्थानीय लम्बी घास यूलालिओप्सिस बिनाता (Eulaliopsis binata) से निकला, जिसका उपयोग कागज़ और रस्सी बनाने के लिए किया जाता है।[2]

१९०१ में भाबर, नैनीताल जिले के चार भागों में से एक था, जिसमे ४ कस्बे और ५११ ग्राम समाहित थे; और जिसकी संयुक्त जनसंख्या ९३,४४५ थी (१९०१) और यह ३,३१२.६ वर्ग किमी में फैला हुआ था। भौगोलिक रूप से, यह वर्तमान प्रशासनिक उपभाग हल्द्वानी के बराबर है।

भाबर के भूवैज्ञानिक वैशिष्ट्य पूर्णतः भारत के उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जिले में पड़ते हैं। भाबर के दक्षिण में जलोढ़ फैलाव पड़ता है, तराई

सिंहावलोकन

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  1. भाबर Archived 2008-04-07 at the वेबैक मशीन नैनीताल का आधिकारिक जालपृष्ठ।
  2. मुख्य प्राकृतिक फाइबर उत्तराखण्ड के देशज - भाबर Archived 2009-06-03 at the वेबैक मशीन बाँस और फाइवर विकास बोर्ड, उत्तराखण्ड सरकार पोर्टल।

बाहरी कड़ियाँ

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