भावानुवाद में मूल के शब्द, वाक्यांश, वाक्य आदि पर ध्यान न देकर भाव, अर्थ या विचार पर ध्यान दिया जाता है और उसी को लक्ष्य भाषा में सम्प्रेषित करते हैं। शब्दानुवाद में अनुवादक का ध्यान मूल सामग्री के शरीर पर विशेष होता है तो इसमें उसकी आत्मा पर। जिन पाठों में मूल पाठ के प्रत्येक शब्द का अनुवाद करना संभव नहीं होता जैसे साहित्यिक पाठ या मुहावरे, लोकोत्ततियां आदि वहां भावानुवाद किया जाता हैं। उदहारण के लिए जिन मुहावरों को हमने शाब्दिक अनुवाद के लिए लिया था उनके भानुवाद इस प्रकार के होंगे। .It is no use crying over spilt milk

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत