भाषायी मानवविज्ञान मानवशास्त्र की एक महत्वपूर्ण शाखा है। इसमें वैसी भाषाओं का अध्ययन किया जाता है जो अभी भी अलिखित हैं। ऐसी भाषा को समझने के लिए शब्दकोश व व्याकरण का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। शोधकर्ता को भाषा का अध्ययन करके शब्दकोश व व्याकरण तैयार करना पड़ता है। इसमें भाषाओं की उत्पत्ति, उदविकास व विभिन्न समकालीन भाषाओं के बीच अंतरों का अध्ययन किया जाता है। मानवविज्ञान की शाखा के रूप में भाषायी मानवविज्ञान अपने आप में पूर्ण एवं स्वायत है। संस्कृति का आधार भाषा है। भाषा का अध्ययन कर हम संस्कृति को समझ सकते हैं।

भाषायी मानवविज्ञान के अंतर्गत भाषा के निम्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है-

  1. . भाषा की संरचना, शब्दावली,व्याकरण आदि अध्ययन,
  2. . विभिन्न भाषाओं का अध्ययन करके उन्हे वर्गीकृत करने का प्रयास करना,
  3. . भाषा की उत्पत्ति एवं समय के साथ उसमें आए बदलावों का अध्ययन,
  4. . भाषा एवं संस्कृति के बीच के आपसी संबंधों का अध्ययन आदि।