भाषाविज्ञान में, भाषा-द्वैत या समष्‍टि द्विभाषिता या द्विभाषारूपिता (diglossia) उस दशा का नाम है जिसमें एक ही भाषा-समुदाय दो अलग तरह की भाषाओं का व्यवहार करता है। सामान्य तौर पर प्रतिदिन बोली जाने वाली 'निम्न' भाषा के अलावा एक दूसरी 'अति परिमार्जित' ('उच्च भाषा' ) का प्रयोग किया जाता है। 'उच्च भाषा' का प्रयोग प्रायः साहित्य, औपचारिक शिक्षा, आदि में होता है किन्तु सामान्य बातचीत में नहीं।

ऐसा मुमकिन है की जो  'उच्च' भाषा है वो 'निम्न' भाषा की ही प्राचीन संस्करण हो ( ऐसा मध्यकालीन यूरोप में देखा गया है, वहाँ लैटिन का इस्तेमाल औपचारिक चीज़ों के लिया होता था जबकि लोगों की बोलचाल की भाषा इस से काफ़ी अलग थी) | ऐसा भी हो सकता है की जो दो भाषाओँ का इस्तेमाल हो रहा है वो बिकुल हीं अलग हो | या फिर ऐसा भी मुमकिन है की दो  अलग अलग  भाषाओँ का इस्तेमाल हो रहा हो मगर ये दोनों ही भाषाएँ एक जैसी हो ( चीनी भाषाओँ में ऐसा देखा गया है ) |


भाषा द्वैत के प्रकार

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चार्ल्स ऐ. फर्गूसन  के अनुसार भाषा द्वैत अकसर ही सम्बंधित भाषाओं के आस पास पाया जाता है, जिसमे कि एक भाषा को निम्न माना जाता है और दूसरे को उच्च श्रेणी का माना जाता है। लोग उच्च भाषा को प्रतिष्ठा के साथ जोड़ कर देखते हैं। फर्गूसन ने अरबी भाषा को उद्धरण के रूप में लिया और यह कहा कि," अक्सर ही उच्च प्रकार की अरबी बोलने वाले लोग यह कहते हैं कि उन्हें निम्न प्रकार की ज़बान नहीं आती, जबकि सच यह है की लोग अपनी बोलचाल में और रोज़मर्रा के कामों के लिए निम्न प्रकार का ही इस्तेमाल करते हैं।

जोशुआ फिशमैन ने अपने अनुसंधान में यह बोला की ये ज़रूरी नहीं है की जो दो भाषाएँ हैं वो एक दूसरे से सम्बंधित हो, ऐसा भी हो  ये दोनों भाषायें एक दूसरे से बिलकुल अलग हो इस का एक उदाहरण एल्सेस में मिलता है जहाँ पर लोग बोलचाल के लिए अल्सतियन भाषा का इस्तेमाल करते है जबकि बाकि सभी औपचारिक कामों के लिए फ्रेंच का इस्तेमाल करते हैं।

बहुत से अफ़्रीकी देशों में आज भी फ्रेंच का इस्तेमाल सभी औपचारिक कार्यों में होता है और लोगों की आम भाषा इस से अलग है। जैसे की सेनेगल में वार्फ भाषा अनौपचारिक रूप से इस्तेमाल की जाती है जबकि फ्रेंच वहां की औपचारिक भाषा है। यही चीज़ हम नाइजीरिया में भी देख सकते हैं, जहाँ लोग अंग्रेजी का इस्तेमाल सभी औपचारिक कार्यों में करते हैं। यह भी देखा गया है की अगर दो लोग, जो की अलग अलग निम्न भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जब मिलते हैं तो वो अनौपचारिक बातचीत के लिए भी उच्च भाषा का इस्तेमाल करते हैं।     

कुछ जगहों  देखा गया है की महिलाएं और पुरुष अलग अलग भाषा का इस्तेमाल करते हैं, यह हम घाना में देख सकते हैं। आज कल महिलाएं रूढ़िवादी सोच को बदलने की लिए पुरुषों की भाषा का इस्तेमाल करने लगीं हैं। इस प्रकार के भाषा द्वैत को लिंग आधारित भाषा द्वैत कहते हैं।