भीमपलासी
हिंदुस्तानी शास्त्रीय रागा
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जुलाई 2020) स्रोत खोजें: "भीमपलासी" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
यह राग काफी थाट से निकलता है। आरोह में रे और ध"' नहीं लगता और अवरोह में सब स्वर लगते हैं, इसलिये इस की जाति औडव-सम्पूर्ण मानी जाती है। इसमें ग"' और नी"' कोमल लगते हैं। वादी स्वर म"' और सम्वादी स्वर स"' माना जाता है।
गाने-बजाने का समय दिन का तीसरा प्रहर है।
आरोह-नी_ स, ग_, म प नी_ सं।
अवरोह--सं, नी_, ध प, म ग_ रे स।
पकड़-नी_सं म, म ग_, प म, ग_ म ग_ रे स।