भूकम्पीय तरंग
भूकम्पीय तरंगें (seismic waves) पृथ्वी की आतंरिक परतों व सतह पर चलने वाली ऊर्जा की तरंगें होती हैं, जो भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, बड़े भूस्खलन, पृथ्वी के अंदर मैग्मा की हिलावट और कम-आवृत्ति (फ़्रीक्वेन्सी) की ध्वनि-ऊर्जा वाले मानवकृत विस्फोटों से उत्पन्न होती हैं।[1]
मापन
संपादित करेंभूकम्पीय तरंगों को भुकम्पमापी पर रिकार्ड किया जाता है।
== भूकम्पीय तरंगों के प्रकार == P.S.L OR R
- प्राथमिक तरंगें:p tarag
ये सबसे तीव्र गति वाली तंरगें है तथा इनका औसत वेग 7.8 किमी/सेकण्ड होता है इनमे अणुओ का कम्पन तरंगो की दिशा में आगे पीछे होता है परन्तु ये अनुदैर्ध्य तरंगें भी कहलाती है ये ठोस,द्रब एंव गैस तीनो प्रकार में से पार हो जाती है किन्तु इनका वेग ठोस में अधिकतम व गैस में न्यूनतम होता है
- द्वितीयक तरंगें:
ये केबल ठोस माध्यम से ही गुजर सकती है अतः ये बाह्य कोर से आगे नहीं बढ़ पाती है इनका औसत वेग 4 किमी/सेकण्ड होता है ये अनुप्रस्थ तंरगें भी कहलाती है ये प्राथमिक तरंगो की तुलना में अधिक क्षतिकारक होती है
- एल-तरंगें या- आर तरंगें:
एल तरंगों का वेग सबसे कम (1.5 से 3 किमी/सेकण्ड) होता है ये धरातल पर सबसे अन्त में पहुँचती है जिसका भ्रमण पथ उत्तल होता है यह सर्बाधिक विनाशक तरंग होती है
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ G. R. Helffrich & B. J. Wood (2002). "The Earth's mantle" (PDF). Nature. Macmillan Magazines. 412 (2 August): 501; Figure 1. डीओआइ:10.1038/35087500. मूल (PDF) से 24 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 फ़रवरी 2017.