भूसमकालिक कक्षा (अंग्रेज़ी: geosynchronous orbit या GSO) धरती के चारों ओर स्थित वह दीर्घवृत्ताकार कक्षा है जिसमें घूमने वाले पिण्ड (जैसे, कृत्रिम उपग्रह) का आवर्तकाल १ दिन (धरती के घूर्णन काल के बराबर = २३ घण्टा, ५६ मिनट, ४ सेकेण्ड) होता है। इस कक्षा का आवर्तकाल, धरती के घूर्णनकाल के ठीक बराबर रखने का परिणाम रह होता है कि धरती के सतह पर स्थित किसी प्रेक्षक या व्यक्ति को किसी दिन के किसी समय पर वह वस्तु आकाश में उसी स्थान पर दिखेगी जहाँ पिछले दिन उसी समय दिखी थी। यदि पूरे किसी दिन की बात करें (लगभग २४ घण्टे) तो आकाश में वस्तु अंग्रेजी के 8 जैसी आकृति बनाती है। संचार उपग्रहों को सामान्यता: इसी या करीब की कक्षा में रखा जाता है ताकि धरती पर मौजूद ऐंटीना का स्थान और दिशाकोण बार-बार बदलना ना पडे और वो आकाश की तरफ़ एक ही कोण पर स्थित हो। इस तरह से एंटीना की दिशा कक्षा में उपग्रह की स्थिति से एक बार मिला देने पर वह हमेशा उसके सम्पर्क में रहता है, क्योंकि धरती के साथ घूम रहे एंटीना को हर समय उपग्रह उसी स्थान पर मिलता है जहाँ वह एक दिन पहले था। इसका एक अच्छा और आसान उदाहरण है घरों की छतों पर लगा केबल टीवी के लिये डीटीएच एंटीना जो हमेशा एक ही दिशा में स्थित रहता है।

इस एनिमेशन में किसी भूस्थिर कक्षा में चक्कर काट रहे उपग्रह की गति दर्शायी गयी है।


कक्षीय विशेषताएँ

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वृत्तीय पृथ्वी भू-समकालिक कक्षाओं की परिधि 42,164 कि॰मी॰ (26,199 मील) है। पृथ्वी की सभी भू-समकालिक कक्षा चाहे गोल या अंडाकार की एक ही अर्द्ध-प्रमुख धुरी है। वास्तव में, समान अवधि की कक्षा हमेशा एक ही अर्द्ध-प्रमुख धुरी का हिस्सा होती है

 

इन्हें भी देखें

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