यह जनजाति मेघालय के पहाड़ी क्षेत्रों में पायी जाती हैभोई' भारत की एक प्राचीन क्षत्रिय जाती है, जिसका उल्लेेख महाभारत और रामायण जैसे भारत के प्राचीनतम महाकाव्यों में मिलता है। भोई जनजाति अनेक जातियों में विभाजित है। इसकी कई शाखाएँ है राजगोंड भोई, राज भोई, झिंगा भोई तथा परदेशी भोई ऐसी अनेक जातियाँ इस वर्ग में है। इनके साम्राज्य का वर्णन 'ओरिसा' में स्थित प्रदेशों था। जिसका वर्णन ओरिसा के इतिहास में पाया जाता है। यह क्षत्रिय वंश के है। ये लोग चंद्र की पूजा करते है।[उद्धरण चाहिए]

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