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भोगला सोरेन (संताली:ᱵᱷᱚᱜᱽᱞᱟ ᱥᱚᱨᱮᱱ) संताली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक राही रांवाक् काना के लिये उन्हें सन् 2010 में भारतीय साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]
इनकी प्रमुख कृतियां है-
- राही रांवाक काना (नाटक)
- सूडा साकोम (नाटक)
- राही चेतान ते (नाटक)
- खोबोर कागोज (नाटक)
- सोसनो: (नाटक)
- बिटलाहा (नाटक)
- मान दिसोम पोरान परायनी (नाटक)
- उपाल (उपन्यास)
- चापोय (उपन्यास)
- संताली भाषा लिपि और साहित्य का विकास (लेख)।