भोगेश्वरी देवी फुकन (१८७२ - १९४२) भारत की एक क्रांतिकारी महिला थीं जिन्होने 1942 ई. के भारत छोड़ो आन्दोलन के समय 70 वर्ष की वृद्धावस्था में असम में नौगाँव जिले के बेहरामपुर कस्बे में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया।

उन्होंने कस्बे की महिलाओं का संगठन बनाया तथा उन्हें घर की चहारदीवारी से बाहर आकर आन्दोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके नेतृत्व में विद्रोहियों ने अंग्रेज़ों द्वारा सील किए गए कांग्रेस कार्यालय का सील तोड़ा और कार्यालय पर अपना अधिकार कर लिया।

13 सितम्बर को विजयादशमी के दिन समारोह में एकत्रित भीड़ पर पुलिस दल ने अचानक आकर लाठियाँ बरसानी शुरू कर दीं। यह समाचार सुनते ही कस्बे की महिलाओं का नेतृत्व करती हुई भोगेश्वरी देवी तिरंगा हाथ में लेकर अंग्रेज सेना के सामने जा पहुँचीं। अंग्रेज कप्तान फिंस ने उग्र होती भीड़ को देखकर गोली चलाने का आदेश दे दिया। कुद्ध भोगेश्वरी देवी ने झपटकर झण्डे के डंडे से फिंस पर हमला कर दिया। घायल फिंस ने भोगेश्वरी देवी को गोलियों से छलनी कर दिया और वह महान वीरांगना 1942 में वीरगति को प्राप्त हो गईं।