भोजन मंत्र

खाना खाने के लिए सुखासन में बैठ कर हाथ जोड़कर बोला जानें बाला मंत्र

[1]अन्न ग्रहण करने से पहले

विचार मन मे करना है

किस हेतु से इस शरीर का

रक्षण पोषण करना है

हे परमेश्वर एक प्रार्थना

नित्य तुम्हारे चरणो में

लग जाये तन मन धन मेरा

विश्व धर्म की सेवा में ॥

ब्रहमार्पणं ब्रहमहविर्‌ब्रहमाग्नौ ब्रहमणा हुतम्।
ब्रहमैव तेन गन्तव्यं ब्रहमकर्मसमाधिना ॥
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:: ॥


भोजन मंत्र का हिंदी अर्थ संपादित करें

अन्न ग्रहण करने से पहले

विचार मन मे करना है

किस हेतु से इस शरीर का

रक्षण पोषण करना है

हे परमेश्वर एक प्रार्थना

नित्य तुम्हारे चरणों में

लग जाये तन मन धन,

मेरा मातृभूमि की सेवा में ॥


जिन वस्तुओ को हम खुद कहते है, वे ब्रम्ह हैं।

भोजन ही ब्रम्ह है। भूख की आग हमे ब्रह्म महसूस करवाती है।

भोजन खाने और पचाने की क्रिया ब्रम्ह क्रिया कहलाती है।

भोजन से प्राप्त परिणाम भी ब्रम्ह ही है।


हे परमेश्वर!

हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें।

हम शिष्य और आचार्य दोनों का एक साथ पोषण करें।

हम दोनों साथ मिलकर बड़ी ऊर्जा और शक्ति के साथ कार्य करें एवं विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें।

हमारी बुद्धि तेज हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें।

ओम! शांति, शांति, शांति ।

इस मंत्र का जाप रोजाना भोजन से पूर्व आवश्यक करना चाहिए।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "भोजन मंत्र". https://allbhajanlyrics.com/bhojan-mantra/. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)