मंगला भवानी मंदिर उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में सोहांव विकास खंड के नसीरपुर ग्राम में नेशनल हाइवे-19 के पास स्थित है। जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बक्सर और गाजीपुर की सीमा पर गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित मां मंगला भवानी का प्राचीन मंदिर सदियाें से श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र रहा है। नवरात्र में मां दर्शन-पूजन के लिए यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।[1]

मंगला भवानी मंदिर
मंगला भवानी मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिनसीरपुर,बलिया, उत्तर प्रदेश
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वास्तु विवरण
प्रकारशाक्त मंदिर

मंदिर का महात्म्य संपादित करें

बलिया जिले के पूर्व जिलाधिकारी हरिसेवक राम द्वारा लिखित पुस्तक 'बलिया:एक दृष्टि में' के अनुसार इस मंदिर का उल्लेख छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने पाटलिपुत्र जाते समय अपनी यात्रा डायरी में किया था। ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में लिखा है नारायणपुर से पश्चिम दिशा में एक प्रसिद्ध देवी मंदिर था। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में भी इस स्थान पर देवी महालक्ष्मी के वास का वर्णन मिलता है। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण की टीका के रूप में पंडित तारकेश्वर उपाध्याय ने 1956 में छपी 'कामेश्वर धाम' नामक अपनी पुस्तक में लिखा है कि जब भगवान शिव कारों में निवास करने लगे तब इस स्थान की महिमा और नैसर्गिक छंटा से मुग्ध होकर भगवान नारायण (विष्णु) एवं महालक्ष्मी यहाँ निवास करने लगे। यहीं निवास काल में महालक्ष्मी के पुत्र देव सेनापति कामदेव से भगवान शिव का विग्रह विवाद हुआ था।[2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "मां मंगला भवानी बना है आस्था का केंद्र". मूल से 11 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16. नामालूम प्राचल |pulisher= की उपेक्षा की गयी (|publisher= सुझावित है) (मदद)
  2. "मंगला भवानी, जहां सबकी भरती है झोलियां". myupnews.com. मूल से 13 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.