माधांतृ(माधांता कोली )इछंवाकू वंश के सूर्यवंश के अयौध्या मे ,विवशवान,वैवशत्य, ये सूर्यवंशी राज घराना आगे इस वंश मे, राजा ककुत्सय,राजा दिलीप,राजा सगर,राजा भागीरथ जो गंगा जी को पृथवी पर ले कर आए थे ,राजा रघु से यह वंश रघुवंश कहलाए आगे रघुवंश मे, राजा अज ,दशरथ ,जी के पुत्र,सिया राम ,लक्षमण,भरत,शतरूघन,जैसे राजाऔ ने जन्म लिया और इस वंश के क्षरिय जो भारत देश मे आज भी विराजन है इस वंश की प्रमुख शाखाए ,,कछवाहा(कोलि),कुशवाहा,राठौड,गहलौत,गुहिल,मौर्य,शाक्य,कोली सूर्यवंशी ये क्षत्रिय राजा मांधाताकोली के वंशज है ,सिशौदीया,बडगूर्जर,चौहान,और अन्य सभी सूर्यवंशी क्षरिय ये सभी प्रराचीन क्षरियो के वंशज है जिनहे ,राजपुत्र या राजपूत या ठाकुर ठाकोर भी कहा गया है ,और राजा मांधातृ अथवा मांधाताकोली भी कहा गया है इस राजा पूरी पृथवी पर राज किया था और आज भी समसत पृथवी पर सूर्यवंशीयौ का ही राज है ये राजा माधांताकोली सिया राम जी के पूर्वज है जो इसके प्रमाण सिधुं घाटी की खुदाई के दोरान मिले है उसमे शिलालेख भी मिला है जिस पर साफ तौर पर लिखा हुआ था मांधाताकोली सूर्यवंशी इस जानकारी को सुपरीम कोर्ट ने भी माना है इसलिए

कुल सूर्यवंशी कोली क्षत्रिय इनकी शाखा

राजसथान,गुजरात,हिमाचल,उतराखण्ड,हरियाणा, राजय मे निवास करती है जय सिया राम